Saturday 5 June 2021

प्रश्नपत्र की आत्मकथा prashan patra ki atmakatha in hindi

prashan patra ki atmakatha in hindi

मैं प्रश्नपत्र हूं। मेरा कार्य लोगों से प्रश्न पूछना है। अक्सर बच्चे साल भर अपनी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं और साल के अंत में उनके हाथ में मुझे थमा दिया जाता है।

मुझे देख कर बच्चों को एक घबराहट सी महसूस होती है क्योंकि बच्चे यह सोचते हैं कि पता नहीं इस प्रश्न पत्र में क्या पूछा जाएगा लेकिन जो समझदार बच्चा होता है वह कभी भी मुझे सामने देखकर घबराता नहीं है वह बड़े ही धैर्य के साथ मेरे प्रश्नों के जवाब अपनी कॉपी में लिखता जाता है। 

मेरा जन्म बच्चों की परीक्षाओं से कुछ ही दिन पहले होता है लेकिन बच्चों को मैं केवल उसी दिन दिखाया जाता हूं जब परीक्षा होती है। इससे पहले में बच्चों के सामने नहीं आता। मेरे प्रश्न पत्र में लिखे प्रश्नों के जवाब बच्चों को अकेले ही देना पड़ता है।

वह अपने मित्रों से नहीं पूछ सकते लेकिन कुछ शरारती बच्चे ऐसे होते हैं जो अपने मित्रों से सवालों के जवाब पूछते रहते हैं। दरअसल मेरे द्वारा बच्चों का एक तरह से टेस्ट यानी परीक्षा ली जाती है जिससे पता लगता है कि छात्र या बच्चे कितने होशियार हैं। 

जिन बच्चों की परीक्षाओं में अच्छे अंक आते हैं उनकी सभी तारीफ करते हैं, उन्हें पुरस्कार भी दिया जाता है, अखबारों में उनका नाम आता है, स्कूल वाले भी उनकी प्रशंसा करते हैं और आगे चलकर वह उच्च पदों पर आश्रित होते हैं।

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