Atithi devo bhava hindi essay
दोस्तों नमस्कार कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज के हमारे लेख में हम पढ़ने वाले हैं अतिथि देवो भव पर हमारे द्वारा लिखित आर्टिकल आप इसे जरूर पढ़ें तो चलिए पढ़ते हैं आज हमारे इस आर्टिकल को
प्रस्तावना
अतिथि देवो भव जिसका अर्थ होता है अतिथि भगवान के समान होता है वास्तव में हमारी भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही अतिथि को भगवान के समान समझा जाता है, उसका मान सम्मान किया जाता है। अतिथि का हम सभी को बड़ी ही विनम्रता के साथ स्वागत करना चाहिए।
अतिथि देवो भव
हमारे भारत देश में प्राचीन काल से ही है परंपरा रही है कि जब भी हमारे घर पर अतिथि आते हैं तो हम उनका बड़े ही आदर के साथ स्वागत करते हैं, सत्कार करते हैं, उन्हें मिष्ठान आदि खिलाते हैं और उनके साथ बहुत ही अच्छा व्यवहार करते हैं लेकिन पहले और आज के समय में काफी अंतर हो चुका है।
आज के समय में भाग दौड़ के इस युग में लोगों के पास कम समय बचा है इसलिए वह अपने घर पर आए हुए अतिथियों को समय नहीं दे पाते है, वह उनको बहुत ही कम समय दे पाते हैं।
टेक्नोलॉजी के इस जमाने में ज्यादातर लोग मोबाइल, इंटरनेट पर ही बिजी देखे जाते हैं, उनका समाज के लोगों एवं अतिथियों के साथ हो सकता है पहले जैसा व्यवहार ना हो या कई सारे लोग ऐसे होते हैं जिनके पास आज के समय में समय ही नहीं होता कि वह किसी को समय दे पाए इसलिए पुराने समय से अभी के समय में अतिथियों के स्वागत में काफी बदलाव हुआ है लेकिन वास्तव में अतिथि भगवान के समान होता है।
हमें चाहिए कि हम उसका बहुत ही अच्छी तरह से स्वागत करें और किसी भी तरह की समस्या अतिथि को न होने दें, भले ही एक पल के लिए हमें कुछ समस्या हो लेकिन अतिथि को कभी भी समस्या नहीं होने देना चाहिए, यही हमारी भारतीय परंपरा है, हमारी संस्कृति है हमें इस संस्कृति को अपनाना चाहिए और इसका पूरी तरह से पालन करना चाहिए।
उपसंहार
वास्तव में हर किसी को अतिथियों को भगवान के समान समझ कर उनका आदर सत्कार करना चाहिए और हमारी भारतीय परंपरा को आगे बढाना चाहिए।
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