Sunday 26 November 2023

Essay on देश को आत्मनिर्भर बनाने में विद्यार्थियों का योगदान in Hindi

 Essay on देश को आत्मनिर्भर बनाने में विद्यार्थियों का योगदान in Hindi 

दोस्तों नमस्कार आज हम पढ़ेंगे देश को आत्मनिर्भर बनाने में विद्यार्थियों का क्या क्या योगदान है तो चलिए आज के हमारे इस आर्टिकल को पढ़ते हैं।


प्रस्तावना - देश को आत्मनिर्भर बनाने में विद्यार्थियों का काफी महत्वपूर्ण योगदान होता हैै। विद्यार्थी ही होता है जो जीवन में अच्छी तरह से पढ़ाई करके देश के लिए कुछ करता हैं। यदि विद्यार्थी आत्मनिर्भर हो जाए तो वास्तव में देश भी आत्मनिर्भर होगा विद्यार्थियों की सूची पूरे देश को आत्मनिर्भर बना सकती हैै।

देश को आत्मनिर्भर बनाने में विद्यार्थियों का योगदान - वास्तव में देश को आत्मनिर्भर बनाने में विद्यार्थियों का सबसे ज्यादा योगदान होता है क्योंकि विद्यार्थियों की उम्र होती है जिस उम्र में वह जो सोचते हैं  उनके साथ में होने लगता है यदि विद्यार्थी अपने आप को आत्मनिर्भर समझे और जीवन में कुछ अच्छा करें, आगे बढ़ने की कोशिश करें तो वास्तव में देश आत्मनिर्भर बन सकता है।

 आज के समय में हम देखते हैं विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कुछ योजनाएं चलाई हैं जिसके तहत युवाओं को कई ऐसे क्षेत्रों की तैयारी करने का मौका मिलता है। गरीब से गरीब विद्यार्थी भी ऐसी योजनाओं का फायदा लेकर आत्मनिर्भर बन सकता है।

 कौशल विकास योजना ऐसी योजना है जिसके जरिए विद्यार्थियों को मुफ्त में अपने कौशल के बारे में शिक्षा लेने का मौका मिलता है अपना खुद का कुछ कर सके एनी अपना खुद का बिजनेस कर सके तो वास्तव में वह खुद तो रोजगार पाई सकता है और अन्य लोगों को भी रोजगार दे सकता है। यदि हमारे भारत देश के विद्यार्थियों की ऐसी सोच होती है तो वास्तव में हमारा भारत देश आत्मनिर्भर भारत बन सकता है।

यह सब केवल विद्यार्थियों के दम पर ही हो सकता है क्योंकि विद्यार्थी होते हैं जिनसे देश का भविष्य होता है। विद्यार्थियों के ऊपर ही जिम्मेदारी होती है कि वह अपने देश को किधर ले जाना चाहते हैं वास्तव में विद्यार्थियों की सोच उन्हें काफी आगे बढ़ा सकती है और देश को आत्मनिर्भर बना सकती है। आज की युवा पीढ़ी सच में हमारे भारत देश को काफी आगे ले जा सकती है। 

उपसंहार - वास्तव में देश को आगे बढ़ाने में या आत्मनिर्भर बनाने में युवाओं का सबसे ज्यादा योगदान होता है। हमें युवाओं को एक नई और अच्छी राह पर चलाना चाहिए। विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए माता पिता, शिक्षक सभी का कर्तव्य होता है कि वह विद्यार्थियों को सही राह पर चलाएं और आत्मनिर्भर बनने में मदद करें।

दोस्तों मेरे द्वारा लिखा यह आर्टिकल आप अपने दोस्तों में शेयर करें और हमें सब्सक्राइब करें धन्यवाद।

Sunday 19 November 2023

चौकीदार की आत्मकथा Essay on chowkidar in hindi

Essay on chowkidar in hindi

आज हम आपके लिए लाए हैं चौकीदार पर हमारे द्वारा लिखा यह काल्पनिक आर्टिकल आप इसे जरूर पढ़ें तो चलिए पढ़ते हैं । चौकीदार की आत्मकथा , मैं एक चौकीदार हूं । मैं स्कूल में कार्य करता हूं । मेरा कार्य स्कूल की देखरेख करना होता है । 


मुझे चौकीदारी करना बहुत ही पसंद है । आज से 10 साल पहले से मैं यह कार्य करता हूं । चौकीदारी करने के पीछे सिर्फ दो ही कारण है एक तो मैं स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों को बेहद पसंद करता हूं । उन्हें अपनी नजरों के सामने हमेशा देखना मुझे बहुत अच्छा लगता है और दूसरा कारण यह है कि मैं अपने स्कूल की देखरेख करना चाहता हूं । 

मैं चाहता हूं कि स्कूल और बच्चे दोनों ही सुरक्षित रहें , बच्चों को किसी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े । किसी भी बाहर के अनजान व्यक्ति को मैं स्कूल में प्रवेश नहीं करने देता । आज से 10 साल पहले मैंने चौकीदार की नौकरी शुरू की थी और जब मुझे पता लगा था कि मेरी नौकरी स्कूल में लगी है तो मुझे काफी खुशी हुई थी क्योंकि मैं हमेशा बच्चों से काफी प्रेम करता हूं । 

बच्चों के साथ आज मुझे खेलना कूदना बहुत ही पसंद आता है , उनकी सुरक्षा करना मुझे बहुत ही अच्छा लगता है । मैं हमेशा किसी भी व्यक्ति को स्कूल के अंदर तभी प्रवेश करने देता हूं जब वह मेरे रजिस्टर में अपना नाम , मोबाइल नंबर और सिग्नेचर करता है । 

मैं अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ निभाना चाहता हूं । हमारे देश के भविष्य बच्चे ही होते हैं । बच्चों की देखभाल से बढ़कर मेरे लिए कुछ भी नहीं है । आप अपने दोस्तों में यह आर्टिकल शेयर करें और हमें सब्सक्राइब करें ।

Wednesday 15 November 2023

दहेज नारी शक्ति का अपमान पर निबंध Dahej nari shakti ka apman nibandh

दहेज नारी शक्ति का अपमान पर निबंध 

दोस्तों नमस्कार, आज हम दहेज नारी शक्ति का अपमान पर निबंध लेकर आए हैं आप इसे जरूर पढ़ें तो चलिए आज के हमारे इस निबंध को पढ़ते हैं और परीक्षा की तैयारी करते हैं

प्रस्तावना - दहेज प्रथा वास्तव में नारी शक्ति का अपमान है हमें दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए और दहेज मांगने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए तभी नारी देश में सुरक्षित रह सकेगी क्योंकि दहेज प्रथा नारी शक्ति का अपमान तो है ही साथ में समाज के लिए एक अभिशाप भी है। 

दहेज नारी शक्ति का अपमान है - दहेज प्रथा आज से शुरू नहीं हुई है बल्कि काफी पुराने समय से दहेज प्रथा चली आ रही है इस दहेज प्रथा को खत्म करना बेहद जरूरी है। आज के समय में दहेज प्रथा पर सरकार ने कई कड़े कानून भी बनाए हैं लेकिन फिर भी कई सारे लोग ऐसे होते हैं जो दहेज मांगने को अपना एकाधिकार समझते हैं। दहेज प्रथा की वजह से आज नारी सुरक्षित नहीं है एक तरह से नारी का अपमान है दहेज प्रथा।

कई लोग होते हैं जो शादी से पहले दहेज की मांग करते हैं तो कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं जो शादी के बाद भी अपनी बहू से दहेज की मांग के लिए दबाव डालते हैं। 

कुछ लोग ऐसे होते हैं जो दहेज के लिए मना कर देते हैं लेकिन बाद में दहेज नहीं मिलने पर मांग करने लगते हैं ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होना चाहिए। आज के समय में दहेज प्रथा की वजह से कई मां-बाप को अपनी बेटी बोझ सी लगने लगी है। 

जब घर में एक या एक से अधिक लड़कियां जन्म लेती हैं तो दहेज प्रथा की वजह से कई मां-बाप तो अपने सिर पर बोझ की तरह समझने लगते हैं क्योंकि वह समझते हैं कि आने वाले समय में जब हम इसका विवाह करवाएंगे तो काफी सारा धन हमको दहेज के रूप में देना पड़ेगा

वरना इसकी शादी नहीं हो पाएगी इसी सोच की वजह से मां बाप बेटी को बोझ समझते हैं और बेटी को भी लगता है कि मैं अपने मां-बाप के सिर पर बोझ हूं इस तरह की भावनाएं केवल दहेजप्रथा की वजह से जन्म लेती हैं।

भारत देश में जहां नारी को देवी का अवतार समझा जाता है जहां नारी को सम्मान दिया जाता है उसी भारत देश में कई लोग दहेज को लेकर अपनी बहू पर दबाव डालते हैं यह एक तरह से नारी का अपमान ही है। 

हम सभी को चाहिए कि दहेज प्रथा की और विशेष रूप से ध्यान दें और देवी के अवतार नारी को अपमानित ना करें। आज के समय में दहेज की वजह से कई स्त्रियां आत्महत्या भी कर लेती हैं क्योंकि ससुराल वाले उनपर दहेज के लिए जबरदस्ती दबाव डालते हैं इस तरह की कई स्थितियां हमारे समाज में देखने को मिलती हैं, इससे एक तरह से नारी का अपमान ही होता है।

उपसंहार - वास्तव में हमें नारी का सम्मान करना चाहिए, नारी को देवी का अवतार समझना चाहिए और दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज उठाना चाहए। ना दहेज मांगना चाहिए और ना दहेज देना चाहिए तभी एक अच्छे समाज का निर्माण हो सकता है तभी लड़की को मां-बाप कभी बोझ नहीं समझेंगे।

दोस्तों मेरे द्वारा लिखा यह आरती कल आप अपने दोस्तों में शेयर करें और हमें सब्सक्राइब करें धन्यवाद।

Friday 27 October 2023

पीपल के पेड़ पर निबंध Peepal tree essay in hindi

पीपल के पेड़ पर निबंध 

दोस्तों नमस्कार, कैसे हैं आप सभी दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं पीपल के वृक्ष पर हमारे द्वारा लिखा यह निबंध आप इसे जरूर पढ़ें तो चलिए पढ़ते हैं आज के हमारे इस निबंध को 

प्रस्तावना- पीपल का वृक्ष काफी प्रसिद्ध वृक्ष है, यह भारत के हर एक राज्य में पाया जाता है। पीपल का वृक्ष हम सभी के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, लोग इसकी पूजा भी करते हैं। आज से ही नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही इसकी महत्वता लोगों ने समझी है।

पीपल के वृक्ष का महत्व- पीपल का वृक्ष एक ऐसा वृक्ष है जो हिंदू धर्म के अनुसार पूजनीय है। पीपल के वृक्ष की महिलाएं पूजा करती हैं, महिलाएं ज्यादातर अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूजा करती हैं। यह पेड़ 24 घंटे ऑक्सीजन देता है आज से ही नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही ऋषि मुनियों ने इस पेड़ का महत्व बताया है और समझा है। 

प्राचीन काल से ही ऋषि मुनि पीपल के वृक्ष के नीचे अपने शिष्यों को शिक्षा देते हुए आए हैं इसलिए पीपल का वृक्ष का महत्व काफी ज्यादा है। पीपल के पेड़ की वजह से कई सारी असाधारण बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं इसे यदि हम असाधारण पेड़ या चमत्कारिक पेड़ कहें तो भी कोई बड़ी बात नहीं होगी क्योंकि इससे एक नहीं बहुत सारी बीमारियां दूर हो जाती हैं। 

यदि आपको सर्दी बुखार है तो भी आप पीपड़ से बनाई गई औषधीय का उपयोग करके बुखार या सर्दी से राहत पा सकते हैं। नपुंसकता जैसी समस्याओं को दूर करने में भी पीपल के वृक्ष का उपयोग किया जाता है यही नहीं गुर्दे की बीमारी में भी इसका उपयोग किया जाता है, अस्थमा उपचारों, कब्ज और खसरा जैसी बीमारियों को दूर करने में पीपल का वृक्ष वास्तव में एक वरदान की तरह है। पीपल का हमारे देश में काफी महत्व है।

उपसंहार- वास्तव में पीपल के वृक्ष का काफी महत्व है और जिसने भी इसके महत्व को समझा है वह कई बीमारियों से दूर हुआ है। हमें पीपल का महत्व समझते हुए पीपल के वृक्ष को लगाना चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ी को भी इस वृक्ष के लाभ प्राप्त हो सके। दोस्तों हमारे द्वारा लिखा यह आर्टिकल आप अपने दोस्तों में शेयर करें और हमें सब्सक्राइब करें धन्यवाद।

Wednesday 18 October 2023

प्रकृति का प्रकोप निबंध in Hindi Prakriti ka prakop essay in hindi

प्रकृति का प्रकोप निबंध in Hindi 

प्रस्तावना- मानव अपने स्वार्थवस प्रकृति को अनेक प्रकार से नुकसान पहुंचा रहा है, प्रकृति का संतुलन अनेक तरीके से बिगड़ रहा है। इसके कारण प्राकृतिक आपदाओं को मानव ने ही जन्म दिया है। प्रकृति का प्रकोप भी एक भयंकर आपदा है।

प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप जैसे ही आता है तब पेड़ पौधे, जीव जंतु सभी की क्षति होती है। जिसमें मानव की भी हानि होती है । जैसे भूकंप की तीव्र गति के कारण धरती में कम्पन होता है और मनुष्य के बने हुए घर मकानो की दीवारों पर दरांग पड़ जाती है। 

कुछ भूकंप आपदाएं इतनी तीव्र गति की होती है की इंसानों द्वारा बनाई हुई इमारतें क्षण भर में जमीन पर गिरकर नष्ट हो जाती है, एक ही झटके में सब नष्ट हो जाता है, कई परिवार इस भयानक प्राकृतिक आपदा के शिकार हो जाते हैं, अचानक धरती पर आए इस कम्पन को भूकंप कहते हैं।

मानव दुनिया को विकसित करने के लिए नई-नई तकनीकी की खोज कर रहा है लेकिन फिरभी जानभूझकर पेड़ पौधे की कटाई कर रहा है इसके चलते प्रकृति को क्षति पहुंच रही है। जिसमें पृथ्वी की प्राकृतिक संतुलन स्थिति बिगड़ रही है।

प्रकृति हमारी लिए बहुमूल्य हैं। जो हमें जीवन दान देती हैं।

प्रकृति और मानव-  प्रकृति हमारे लिए एक बहुत ही अनमोल रत्न है। पेड़ पौधों से प्राप्त ऑक्सीजन से हम सांस ले पाते हैं और पेड़ पौधे द्वारा भोजन पाते हैं। प्रकृति मानव के लिए एक बहुमूल्य उपहार है। इस प्रकृति के द्वारा मानव का जीवित रहना संभव हुआ है।

हम जो कुछ भी इस पृथ्वी पर रहकर देखते हैं वह प्रकृति का निर्माण करता है। जैसे की सूर्य, चंद्रमा, मनुष्य, जीव जंतु, पेड़ पौधे, फल, फूल, पशु पक्षी, आदि शामिल है ।

इस पृथ्वी पर जीवित रहने के लिए प्रत्येक मानव या प्राणी एक दूसरे पर निर्भर हैं या जुड़ा हुआ है। जैसे की मानव अपने जीवन में जीने के लिए प्रकृति पर निर्भर होता है। प्रकृति हमें अन्य प्रकार की चीजों के अलावा ऑक्सीजन, पानी, भोजन, आदि प्रदान करती है। 

हम सभी प्रकार से प्रकृति पर आश्रित है।

प्राकृतिक वातावरण को स्वच्छ बनाए रखना ही, सभी कर्तव्य हैं। 

आज के समय में हम देख रहे हैं कि मानव अपनी जरूरतों के लिए प्राकृतिक वातावरण पर ध्यान न देकर अपने स्वार्थ को पूरा करने में लगा हुआ है। मनुष्य जिस प्रकार अपनी तरक्की के लिए प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहा है, इसी के चलते प्रकृति अपना रूद्र रूप दिखा रही है। 

इसका नतीजा हमें कई तरह से देखने को मिलता है जैसे की बिन मौसम बरसात आना, भूकंप आना, भारी बरसात आना, जंगलों में आग लगना, समुद्रों में चक्रवात तूफान आना , ज्वालामुखी का उद्गार होना, असमय बाढ़ आ जाना ऐसी घटनाएं हमें आज के समय में हर रोज देखने को मिल रही हैं।

इन घटनाओं का कारण मानव खुद है क्योंकि पेड़ पौधों की कटाई करना, वातावरण को प्रदूषित करना मानव बिना सोचे समझे कर रहा है। मानव स्वयं अपने जीवन को नष्ट कर रहा है। इन घटनाओं को रोकना अब मानव के हाथ में नहीं हैं, इसके लिए मानव खुद जिम्मेदार है।

उपसंहार- प्रकृति के प्रकोप की घटनाओं को रोकना मानव का कर्तव्य है इसलिए हमें प्राकृतिक आपदाओं की घटनाओं को रोकने के लिए तैयार होना होगा। और प्रकृति के पर्यावरण का संतुलन बनाए रखना हुआ तभी हम जीवन को सही ढंग से यापन कर सकते हैं।

Saturday 7 October 2023

बरसात का पहला दिन हिंदी निबंध Barsat ka pehla din essay in hindi

बरसात का पहला दिन हिंदी निबंध

बरसात का पहला दिन सभी का ही खास दिन होता है जून का महीना चल रहा था और सूर्य की तेज गर्मी की गर्म हवाएं चारों दिशाओं में फैली हुई थी। आसपास के पेड़ पौधों की पत्तियां भी तेज गर्मी के कारण झड़ चुकी थी।

पेड़ पौधे भी गर्मी के कारण मुरझा रहे थे ऐसा मानो कि पेड़ पौधे भी पानी का इंतजार कर रहे थे।

जंगलों में रह रहे, पशु पक्षीयां भी पानी का इंतजार कर रहे थे। गांव में रह रहे लोग भी अपने खेतों के लिए बरसात के पानी का इंतजार कर रहे थे, बरसात होने के पश्चात मैं अपनी खेतों की बुवाई कर सकूं और शहरों के लोग भी बरसात के पानी का इंतजार कर रहे थे,और कब बिजलियों के पंखे बंद हो , और बरसात के पानी की शीतल हवाओं का आनंद ले सके।

मैं भी अपनी पढ़ाई करने के लिए गांव से शहर में रहता हूं
मेरा भी गर्मी से कुछ ऐसा ही हल हो रहा था मैं रोज की तरह कोचिंग और कॉलेज जाता था और गर्मी के कारण में पसीने से पूरा भीगकर घर वापस आता था ।

मैं हर बार की तरह कॉलेज गया था और मैं जब कॉलेज से निकला तब मैंने देखा कि आसमान को काले काले बादलों ने घेर लिया था, और गर्म हवाएं अचानक ठंडी हवाओं में परिवर्तित हो गई और कुछ ही समय में बारिश होने लगी और मैं उस बारिश में मैं चलता हुआ कॉलेज से घर जा रहा था

मुझे बारिश में भीगने में इतना आनंद मिला कि शायद कभी मेरे को मिला होगा, मेरे लिए बारिश का पहला दिन बहुत ही खास दिन था।
और मैं बारिश में भीगते-भीगते घर पहुंचा ।

मेरे लिए बारिश का पानी इतना अच्छा महसूस हुआ था कि मानो हमेशा के लिए ऐसा ही पानी की बारिश होती रहे।
चारों और बरसता हुआ पानी नजर आ रहा था और कुछ ही समय में यह बरसात का पानी के बदल गांव की ओर पहुंच गए गांव में रह रहे गांव वासियों ने देखा कि चारों ओर पानी के बदलो का घिराव नजर आया ।

और कुछ ही क्षण में बारिश शुरू हो गई । और लगातार 2 से 3 घंटे तक बारिश का पानी गिरता रहा ।
गांव के किसानों के लिए यह बरसात का पहला दिन इतना कुशल रहा। उन्हें यह लग रहा था, कि इतनी कड़ी धूप में बारिश होना इस जून के महीने संभव नहीं है।

गांव के वासियों ने ईश्वर को धन्यवाद दिया। और उन्हें इतनी खुशी हुई कि वह शब्दों में बयां नहीं कर पा रहे थे। वह दो माह से इंतजार कर रहे थे। उनका इंतजार करना समाप्त हुआ। और सभी किसान अपने-अपने खेतों में हल लेकर पहुंच गए और उन्होंने अपनी बुवाई शुरू कर दी।

कुछ ही दिनों में खेतों की काली मिट्टी एक हरी भरी पौधों में बदल गई। चारों ओर हरियाली छा गई। प्रकृति का वातावरण महकने लगा।
बरसात का पहला दिन सभी के लिए यादगार दिन रहा खासकर बच्चों के लिए बरसात का पहला दिन बहुत ही खास दिन होता है वो इस दिन से लेकर दो से तीन महीने तक इस बारिश का आनंद लेते हैं । बच्चें गांव की गलियों सड़कों और छतों पर भीगते हुए बरसात का आनंद लेते हैं।

प्रकृति वातावरण, भूमि, जलवायु, पेड़ पौधे और जीव जंतु के लिए बारिश का पानी बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।

Sunday 1 October 2023

यदि परीक्षा न होती तो निबंध Agar pariksha na hoti to nibandh in hindi

यदि परीक्षा न होती तो निबंध 

दोस्तों नमस्कार आज हम आपके लिए लाए हैं यदि परीक्षा न होती पर हमारे द्वारा लिखित निबंध आप इसे जरूर पढ़ें तो चलिए पढ़ते हैं आज के हमारे इस निबंध को 

यदि परीक्षा न होती तो निबंध

यदि परीक्षा न होती तो वास्तव में ऐसा बहुत कुछ होता, जिसकी हमें उम्मीद ना की होती। यदि परीक्षा न होती तो विद्यार्थियों को यह पता नहीं लगता कि वह कितने इंटेलिजेंट है, उनके अंदर कितना ज्ञान है जिसके कारण उनके माता-पिता या उनके टीचर भी इसका आकलन नहीं लगा पाते।

यदि परीक्षा न होती तो परीक्षा का कुछ महत्व भी ना होता, साथ में पढ़ाई का कोई भी महत्व ना होता। आज के समय में हम देखते हैं कि बच्चे स्कूल जाते हैं फिर कॉलेज जाते हैं वो एक उम्मीद से जाते हैं कि साल भर पढ़ाई करें और पढ़ाई करने के बाद परीक्षा में उत्तीर्ण अंको से पास हो 

लेकिन यदि परीक्षा नहीं होती तो वास्तव में इन सभी बातों को करने का कोई मतलब ही नहीं होता क्योंकि परीक्षा के बगैर ना ही कोई विद्यार्थी इन बातों पर गौर करता और ना ही शिक्षक और ना ही माता-पिता गौर करते।

वास्तव में परीक्षा का एक विद्यार्थी के जीवन में काफी ज्यादा महत्व है। परीक्षा न होती तो विद्यार्थी योग्य नहीं हो पाता क्योंकि परीक्षा होती है तो एक विद्यार्थियों को अपनी योग्यता के बारे में पता लगता है। यदि वह अयोग्य होता है तो वह सही तरह से पढ़ाई करता है और योग्य बनने की कोशिश करता है लेकिन परीक्षा न होने के विपरीत ऐसा कुछ भी नहीं होता, जिससे समाज पर दुष्प्रभाव भी होता। 

परीक्षा न होती तो विद्यार्थी को किसी भी बात का डर नहीं होता। परीक्षा न होती तो माता-पिता को भी अपने बच्चों को पढ़ाने के प्रति बिल्कुल भी जागरूकता नहीं होती और ना ही शिक्षकों को बच्चों को पढ़ने के प्रति जागरूकता होती जिससे समाज व्यवस्थित होता।

आज के समय में हम देखते हैं कि यदि कोई विद्यार्थी एक क्लास में होता है और वह अच्छी तैयारी करता है और उसकी परीक्षा होती है तो वह अगली क्लास में पहुंच जाता है लेकिन यदि परीक्षा न होती तो अगली क्लास में पहुंचने का कोई सवाल ही नहीं होता जिससे विद्यार्थी जीवन में आगे नहीं बढ़ पाता और ना ही एक योग्य नागरिक बन पाता।

परीक्षा के बगैर एक शिक्षक को भी पता नहीं चल पाता की हमारे इन विद्यार्थियों में कौन विद्यार्थी इंटेलिजेंट है। वास्तव में परीक्षा का जीवन में काफी ज्यादा महत्व है। परीक्षा के बगैर हम काफी पीछे रह जाते और समाज भी व्यवस्थित हो जाता है।

दोस्तों मेरे द्वारा लिखित यह आर्टिकल यदि परीक्षा न होती तो निबंध आपको कैसा लगा हमें कमेंट्स के जरिए बताएं और हमें सब्सक्राइब भी करे जिससे इस तरह के बेहतरीन आर्टिकल हम आपके लिए लिख सकें।