Thursday 3 October 2024

अतिथि देवो भव निबंध इन हिंदी Atithi devo bhava hindi essay

Atithi devo bhava hindi essay

दोस्तों नमस्कार कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज के हमारे लेख में हम पढ़ने वाले हैं अतिथि देवो भव पर हमारे द्वारा लिखित आर्टिकल आप इसे जरूर पढ़ें तो चलिए पढ़ते हैं आज हमारे इस आर्टिकल को 

प्रस्तावना 

अतिथि देवो भव जिसका अर्थ होता है अतिथि भगवान के समान होता है वास्तव में हमारी भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही अतिथि को भगवान के समान समझा जाता है, उसका मान सम्मान किया जाता है। अतिथि का हम सभी को बड़ी ही विनम्रता के साथ स्वागत करना चाहिए।

अतिथि देवो भव 

हमारे भारत देश में प्राचीन काल से ही है परंपरा रही है कि जब भी हमारे घर पर अतिथि आते हैं तो हम उनका बड़े ही आदर के साथ स्वागत करते हैं, सत्कार करते हैं, उन्हें मिष्ठान आदि खिलाते हैं और उनके साथ बहुत ही अच्छा व्यवहार करते हैं लेकिन पहले और आज के समय में काफी अंतर हो चुका है। 

आज के समय में भाग दौड़ के इस युग में लोगों के पास कम समय बचा है इसलिए वह अपने घर पर आए हुए अतिथियों को समय नहीं दे पाते है, वह उनको बहुत ही कम समय दे पाते हैं।

टेक्नोलॉजी के इस जमाने में ज्यादातर लोग मोबाइल, इंटरनेट पर ही बिजी देखे जाते हैं, उनका समाज के लोगों एवं अतिथियों के साथ हो सकता है पहले जैसा व्यवहार ना हो या कई सारे लोग ऐसे होते हैं जिनके पास आज के समय में समय ही नहीं होता कि वह किसी को समय दे पाए इसलिए पुराने समय से अभी के समय में अतिथियों के स्वागत में काफी बदलाव हुआ है लेकिन वास्तव में अतिथि भगवान के समान होता है।

हमें चाहिए कि हम उसका बहुत ही अच्छी तरह से स्वागत करें और किसी भी तरह की समस्या अतिथि को न होने दें, भले ही एक पल के लिए हमें कुछ समस्या हो लेकिन अतिथि को कभी भी समस्या नहीं होने देना चाहिए, यही हमारी भारतीय परंपरा है, हमारी संस्कृति है हमें इस संस्कृति को अपनाना चाहिए और इसका पूरी तरह से पालन करना चाहिए।

उपसंहार 

वास्तव में हर किसी को अतिथियों को भगवान के समान समझ कर उनका आदर सत्कार करना चाहिए और हमारी भारतीय परंपरा को आगे बढाना चाहिए।

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Wednesday 2 October 2024

छात्र और शिक्षक पर निबंध Chhatra aur shikshak par nibandh

Chhatra aur shikshak par nibandh

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प्रस्तावना 

छात्र और शिक्षक का रिश्ता काफी गहरा और मजबूत होता है। जीवन में ईश्वर से भी बढ़कर एक शिक्षक होता है, वह शिक्षक हमारा जीवन में मार्गदर्शन करता है और हमें शिक्षित करके जीवन में सही और गलत फैसले लेने योग्य बनाता है।

छात्र और शिक्षक 

छात्र और शिक्षक का रिश्ता एक छात्रा के जीवन में काफी महत्वपूर्ण होता है। एक छात्रा को चाहिए कि वह अपने शिक्षक को सम्मान दें, वह अपने शिक्षक की प्रत्येक बात पर ध्यान दें और उसका मनन करें।

एक छात्र जब स्कूल की शिक्षा प्राप्त करता है तब उसको कुछ भी समझ नहीं होती है, गुरु ही अपने छात्रों का मार्गदर्शन करता है। एक शिक्षक छात्रों के जीवन में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, उन्हें कई तरह का नैतिक ज्ञान तो सिखाता ही है साथ में कई विषयों की महत्वपूर्ण जानकारी शिक्षक प्रदान करता है।

छात्रों के मन में चल रही कई भावनाओ को शिक्षक अपने जवाबों के जरिए दूर करने की कोशिश करता है और छात्रों का मार्गदर्शन बनता है। शिक्षक को भी चाहिए कि वह अपने छात्रों को काफी महत्वपूर्ण समझे और अच्छी तरह से शिक्षित करने की कोशिश करें। 

शिक्षक को चाहिए कि वह पैसों को अधिक महत्व न देते हुए छात्रों के भविष्य के बारे में विशेष रूप से ध्यान दें, छात्रों के उज्जवल भविष्य के लिए हमेशा प्रयत्नरत रहे और छात्रों के लिए एक मार्गदर्शक का काम करें।

एक शिक्षक को चाहिए कि वह समझे की छात्र और शिक्षक का संबंध सबसे महत्वपूर्ण संबंध है क्योंकि शिक्षकों के द्वारा दी जाने वाली शिक्षा के जरिए ही छात्र देश के भविष्य बन सकते हैं, देश किस दिशा में जाएगा यह छात्र के भविष्य या छात्र की शिक्षा पर निर्भर करता है।

देश के भविष्य के निर्धारण में छात्रों की विशेष महत्वता है यह बात शिक्षक को समझकर छात्रों को विशेष रूप से शिक्षा देनी चाहिए और उनकी मन की प्रत्येक भावना को दूर करना चाहिए, उन्हें विशेषकर नैतिक ज्ञान की शिक्षा भी देनी चाहिए जिससे छात्र प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ सके।

इसी तरह से छात्रों का भी कर्तव्य है कि वह हमेशा अपने शिक्षक का सम्मान करें, शिक्षक को अपने जीवन में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण समझे क्योंकि माता-पिता ईश्वर से भी पहले गुरुओं का स्थान हमारे समाज में माना जाता है, गुरु को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है।

उपसंहार 

वास्तव में छात्र और शिक्षक हमारे देश के भविष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण है इसलिए छात्र और शिक्षक दोनों को ही अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और जीवन में आगे बढ़ना चाहिए।

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Tuesday 1 October 2024

कागज की आत्मकथा Kagaj ki atmakatha in hindi

Kagaj ki atmakatha in hindi

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मैं कागज हूं। मैं लकड़ी के द्वारा बनाया जाता हूं, मैं काफी खुशनसीब हूं और काफी खुशी महसूस भी करता हूं क्योंकि लोग मेरा काफी ज्यादा उपयोग करते हैं।

कागज के जरिए लोग कई तरह की किताबें, नोट बुक बनाते हैं, किताबें बनाकर उनमें लेखकों के द्वारा बातें लिखी या छापी जाती है जिससे विद्यार्थी या कई लोग ज्ञान प्राप्त करते हैं और जीवन में आगे बढ़ते हैं।

वास्तव में मेरे कागज के जरिए ही लोग ज्ञान प्राप्त करके जीवन में आगे बढ़ते हैं और मेरे द्वारा बनाई जाने वाली किताबों को लोग सबसे ज्यादा महत्व देते हैं, यहां तक कि वह मेरी किताबों को पूरा पढ़ लेते हैं फिर भी वह मेरी किताबों को बड़े ही संभाल कर रखते हैं क्योंकि उनके जीवन में मेरी किताबें सबसे महत्वपूर्ण होती है।

आज के इस आधुनिक युग में कागजों का बहुत ही ज्यादा उपयोग किया जाने लगा है, कई सारे लोग कई तरह की वस्तुओं को मेरे जरिए बंद करके एक दूसरे को प्रदान करते हैं, मेरा कई तरह से उपयोग किया जाता है।

आज की सरकार भी पालीथिन को बैन करके मेरा उपयोग पर ज्यादा जोर दे रही है क्योंकि पॉलिथीन पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है लेकिन मैं किसी भी तरह से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता, मैं हमेशा पर्यावरण के अनुकूल रहता हूं।

आज के समय में मेरे जरिए कई कार्य किए जाते हैं जो मेरी उपयोगिता समझता है वह मुझे हमेशा संभाल कर रखता है और मेरी बड़ी ही देखभाल करता है लेकिन जो मुझे उपयोगी नहीं समझता वह मुझे रद्दी के भाव बेचता है एवं खरीदना है लेकिन वास्तव में मुझ कागज के द्वारा बनी हुई कुछ अनमोल किताबों को लोग अनमोल ही समझते हैं जिससे उनके जीवन में काफी बड़ा बदलाव होता है इसलिए वह अपने जीवन का अहम हिस्सा भी मुझे समझते हैं और हमेशा अपने साथ रखते हैं।

आज के समय में हम देखते हैं कि इंटरनेट काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है, लोग अपने मोबाइल लैपटॉप के जरिए ही कई तरह का ज्ञान प्राप्त करते हैं इसलिए कई सारे लोग मुझ कागज के द्वारा बनाई जाने वाली किताबों का उपयोग नहीं करते।

एक बात यह भी है कि यदि आप इंटरनेट पर लंबे समय तक कुछ बातें पढ़ते हैं तो आपके दिमाग एवं आंखों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा जबकि किताबों को पढ़ने पर ऐसा कोई भी नुकसान नहीं होता इसलिए आज के आधुनिक युग में भी मुझ कागज के द्वारा बनाई जाने वाली किताबों को आप ज्यादा महत्व दें क्योंकि मैं आपके लिए सहायक हूं।

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Monday 30 September 2024

आदर्श विद्यालय पर निबंध Adarsh vidyalaya essay in hindi

Adarsh vidyalaya essay in hindi

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प्रस्तावना 

आदर्श विद्यालय हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि एक विद्यालय से ही बच्चों के भविष्य का निर्धारण होता है और यदि आदर्श विद्यालय हो तो बच्चे का भविष्य सुरक्षित होता है और वह जीवन में काफी आगे बढ़कर अपने गुरु एवं माता-पिता का नाम रोशन करता है।

आदर्श विद्यालय 

आदर्श विद्यालय प्रत्येक विद्यार्थी के लिए आवश्यक है। आदर्श विद्यालय से तात्पर्य है ऐसा विद्यालय जिसमें सभी तरह की सुविधा हो, बच्चों को उचित से उचित शिक्षा प्राप्त हो सके और विद्यालय में ऐसे शिक्षक हो जो पूरी तरह से अपने विषय में पारंगत हो और बच्चों की उस विषय की प्रत्येक समस्या को दूर कर सकें।

विद्यालय में खेलकूद का मैदान भी हो क्योंकि कहते हैं कि हमारे जीवन में खेलकूद का भी अधिक महत्व हो जिससे शिक्षक विद्यार्थियों को समय-समय पर खेलकूद भी करवा सकें। इसके अलावा विद्यालय में लड़का लड़कियों के लिए अलग-अलग वॉशरूम की व्यवस्था हो। 

विद्यालय में लड़का लड़कियों को समान रूप से शिक्षा प्राप्त हो सके और विद्यालय में नैतिक शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया जाए जिससे विद्यार्थी को पढ़ाई के साथ में नैतिक शिक्षा का भी ज्ञान हो सके जिससे एक विद्यार्थी बड़ा होकर जीवन में आगे बढ़ सके और बड़े से बड़े पद तक पहुंचकर अपने मां-बाप एवं अपने शिक्षकों का नाम रोशन कर सके।

वास्तव में आदर्श विद्यालय से विद्यार्थी एक आदर्श विद्यार्थी बनता है और वह अपने जीवन में काफी आगे बढ़ता है। वह यदि किसी बड़े पद पर भी नहीं पहुंचता और सामान्य जिंदगी जीता है तो भी वह अपने जीवन में काफी कुछ करता है और अपने संस्कारों से अपने माता-पिता और अपने गुरु जनों का नाम रोशन करता है।

वास्तव में आदर्श विद्यालय विद्यार्थी के जीवन में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उपसंहार 

आदर्श विद्यालय से विद्यार्थी के भविष्य का निर्धारण होता है विद्यार्थी आदर्श विद्यालय के जरिए शारीरिक एवं मानसिक रूप से विकसित होता है जिससे आने वाले भविष्य में वह काफी आगे बढ़ता है। वास्तव में आदर्श विद्यालय होना आवश्यक है।

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Sunday 29 September 2024

विद्यार्थी जीवन और अनुशासन पर निबंध Vidyarthi jeevan aur anushasan essay in hindi

Vidyarthi jeevan aur anushasan essay in hindi

दोस्तों नमस्कार कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज के हमारे इस आर्टिकल में हम पढ़ने वाले हैं विद्यार्थी जीवन और अनुशासन पर निबंध आप इसे जरूर पढ़ें तो चलिए पढ़ते हैं आज के हमारे इस निबंध को 



प्रस्तावना 

विद्यार्थी जीवन और अनुशासन काफी महत्वपूर्ण है जिस तरह से विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थी को बहुत कुछ सीखने को मिलता है, विद्यार्थी जीवन से ही उसका भविष्य निर्भर करता है इसी तरह विद्यार्थी जीवन में अनुशासन भी होना बहुत जरूरी है। वास्तव में अनुशासन के वजह से ही वह अपने सही भविष्य तक पहुंच सकता है।

विद्यार्थी जीवन और अनुशासन 

विद्यार्थी जीवन और अनुशासन वास्तव में दोनों ही बहुत जरूरी है जिस तरह से विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थी को पढ़ने के प्रति जागरूक किया जाता है और सही मार्गदर्शन दिया जाता है और विद्यार्थी के हर एक विषय में उसे पारंगत किया जाता है इस तरह से विद्यार्थी जीवन में अनुशासन पर भी काफी ज्यादा जोर दिया जाता है क्योंकि विद्यार्थी जीवन में ही अनुशासन अपनाना काफी जरूरी है।

जिस विद्यार्थी ने विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व समझा और अपने विद्यार्थी जीवन को अनुशासन के साथ गुजारा तो वह वास्तव में अपने भविष्य को जरूर ही उज्जवल करता है।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का काफी ज्यादा महत्व है विद्यार्थी को चाहिए कि विद्यार्थी जीवन में हर एक अनुशासन का पालन करें सुबह जल्दी जागकर शौच एवं स्नान इत्यादि से निवृत होकर अपने माता-पिता को प्रणाम करें और फिर ईश्वर को प्रणाम करके अपने विद्यालय की ओर प्रस्थान करें।

एक विद्यार्थी को चाहिए कि वह हमेशा अनुशासन में रहे और हमेशा अपने गुरुजनों का और अपने बड़ों का सम्मान करें, समय पर भोजन इत्यादि करें और भोजन करने से पहले हाथ जरूर धोए।

इसके अलावा भोजन करते समय केवल भोजन करने पर ध्यान दें भोजन करते समय बात आदि न करें, हमेशा बड़ों का सम्मान करें छोटों से प्रेम करें यह विद्यार्थी जीवन में सिखाया जाता है इसलिए विद्यार्थी जीवन काफी ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अनुशासन के बिना विद्यार्थी जीवन 

अनुशासन के बिना विद्यार्थी जीवन काफी अधूरा है क्योंकि जिस विद्यार्थी ने अपने विद्यार्थी जीवन में अनुशासन की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया वह जीवन में सच में अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकता क्योंकि अनुशासन केवल विद्यार्थी जीवन में ही नहीं बल्कि जीवन के हर एक क्षेत्र में जरूरी है।

विद्यार्थी जीवन में यदि विद्यार्थी अनुशासन का पालन करना या अनुशासन में रहना सीख जाता है तो वह जीवन के हर एक क्षेत्र में आगे बढ़ता है और जीवन में सफलता प्राप्त करता है लेकिन अनुशासन के बगैर वह जीवन में कुछ भी नहीं कर पाता।

उपसंहार 

वास्तव में हमारे जीवन में अनुशासन बहुत ही अहम भूमिका निभाता है इसलिए विद्यार्थी जीवन से ही हर एक इंसान को अपने जीवन में अनुशासन में रहने की आदत डालनी चाहिए क्योंकि अनुशासन कोई बंधन नहीं है बल्कि अनुशासन जीवन के लिए जरूरी है, अनुशासन हमारे लिए काफी जरूरी है।

तो दोस्तों हमें बताएं कि हमारे द्वारा लिखा यह आर्टिकल आपको कैसा लगा धन्यवाद।

Saturday 21 September 2024

सागर की आत्मकथा निबंध Sagar ki atmakatha in hindi essay

Sagar ki atmakatha in hindi essay

दोस्तों नमस्कार कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं सागर की आत्मकथा पर हमारे द्वारा लिखित निबंध आप इसे जरूर पढ़ें तो चलिए पढ़ते हैं आज के हमारे इस आर्टिकल को

 

प्रस्तावना 

सागर काफी विशालकाय होता है जो हमारी पृथ्वी के नक्शे में नीले रंग का दिखाई देता है, इसमें कई सारी नदियां जाकर मिलती हैं। सागर में कई सारे जीव जंतु रहते हैं, आसपास काफी पेड़ पौधे भी होते हैं तो चलिए पढ़ते हैं सागर की आत्मकथा को

सागर की आत्मकथा 

मैं सागर हूं। में काफी विशालकाय हूं, मेरे विशालकाय आकर के बारे में सोचकर कई लोग तो घबरा जाते हैं। मैं एक देश से दूसरे देश तक जुड़ा हुआ हूं कई लोग बड़े-बड़े जहाज के द्वारा मुझसे होकर सफर करते हैं और एक देश से दूसरे देश तक पहुंचते हैं। 

मुझमें कई सारे जलीय जानवर रहते हैं, कई छोटी-छोटी मछलियां, बड़ी-बड़ी मछलियां, मगरमच्छ, विशालकाय मगरमच्छ, कई व्हेल इत्यादि कई बड़े एवं छोटे जीव जंतु रहते हैं उनका मैं घर हूं। जीव जंतुओं के लिए मैं सबसे महत्वपूर्ण हूं। मेरे चारों ओर कई पेड़ पौधे, जीव जंतु आदि भी निवास करते हैं, मुझमें कई नदियां आकर मिलती हैं।

मैं विशालकाय सागर हूं, लोग मुझे समुद्र कहकर भी पुकारते हैं जब भगवान श्री राम अयोध्या से 14 वर्ष के लिए वनवास आए थे और जब माता सीता का हरण हुआ था तब वह माता-पिता की खोज करते हुए लंका मेरे ऊपर रामसेतु बनाकर ही गए थे और लंका तक पहुंचे थे।

इसके अलावा मैं इस पृथ्वी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हूं मेरे चारों ओर पेड़ पौधे लगे हुए हैं जो काफी स्वादिष्ट फल फूल भी देते हैं जिनका उपयोग करके काफी जीव जंतु, पशु पक्षी एवं मानव अपनी जीविका चलाते हैं।

उपसंहार 

वास्तव में सागर हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है जो हम मनुष्य एवं कई जलीय जीव जंतु, पशु पक्षी, पेड़ पौधों आदि के लिए काफी महत्वपूर्ण है। सागर की आत्मकथा से हम सागर के बारे में काफी कुछ समझ सकते हैं।

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Thursday 19 September 2024

जब मैंने पहली बार चाय बनाई पर निबंध Jab maine pehli bar chai banai essay in hindi

Jab maine pehli bar chai banai essay in hindi


जीवन में कई बार ऐसा होता है जब हम पहली बार कोई कार्य करते हैं । जब मैंने पहली बार चाय बनाई तो मुझे काफी अजीब सा महसूस हुआ और मुझे एक प्रसन्नता हो रही थी कि यदि मैं भी चाय बनाना सीख गया तो कितना अच्छा होगा । जब भी मुझे चाय पीनी होगी तब मैं स्वयं बना पाऊंगा । 


मैं अक्सर अपनी मां को चाय बनाते हुए देखता था । मेरी मां चाय में क्या-क्या डालती थी वह सब मुझे पता था लेकिन कितना डालती थी यह मुझे नहीं पता था । जब मैंने पहली बार चाय बनाई तो सबसे पहले दूध को उबाला फिर उसमें चाय पत्ती , शक्कर एवं अदरक डाल दिया । 

उसके बाद काफी देर तक मैं बर्तन में चाय को रखा और उबाला मैंने देखा कि दूध धीरे-धीरे अपना रंग बदल रहा है , दूध का रंग एकदम काला सा होने लगा था फिर मैंने चाय को एक चलनी से कप में छानकर और फिर चाय का स्वाद टेस्ट किया तो मैंने महसूस किया की चाय काफी कड़वी सी लग रही है और शक्कर भी उसने ज्यादा डल गई है तब मैंने समझा कि चाय बनाने के लिए चाय की पत्ती और शक्कर की मात्रा उचित होना चाहिए तभी चाय बन पाती है । 

मैंने यह जो चाय बनाई थी वह पीने योग्य नहीं थी । मैंने पहली बार चाय बनाई थी इसलिए ऐसा हुआ लेकिन अब मैं समझ गया था कि चाय बनाने के लिए कम शक्कर , कम चाय की पत्ती मुझे डालनी चाहिए तभी चाय ठीक से बन पाएगी । चाय बनाने का यह मेरा पहला अनुभव मुझे हमेशा याद रहेगा । भले ही पहली बार में मुझसे चाय नहीं बनी लेकिन मैं पहली बार कोशिश करके बहुत कुछ सीख चुका था । 

मुझे उम्मीद थी कि अब की बार में चाय अच्छी बना लूंगा । मैंने जब फिर से चाय बनाई तो चाय बहुत ही अच्छी बनी जिसका स्वाद भी काफी अच्छा था लेकिन अपने पुराने अनुभव से मैं सीख चुका था कि जिंदगी में कुछ भी करने के लिए सीखना पड़ता है । 

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