Wednesday 27 May 2020

फिल्मों में हिंसा पर निबंध violence in movies essay in hindi

फिल्मों में हिंसा पर निबंध

फिल्मों में कई तरह की हिंसा दिखाने का प्रचलन काफी समय से रहा है फिल्मों में दिखाई गई हिंसा का प्रभाव नौजवानों, बच्चों सभी पर होता है दरअसल फिल्में दिखने कि वजह से कई जगह ऐसा भी देखने को मिलता है कई लोगों पर फिल्मी स्टाइल में हिंसा की जाती हैं यह सही नहीं है हम जो फिल्मों में देखते हैं वह वास्तव में हकीकत नहीं होता वो केवल एक ऐक्टिंग होती है।


उससे जीवन में इस तरह की बातें सीखना और अपने जीवन में अपनाना बिल्कुल भी सही नहीं है। नौजवानों में एक्शन का एक जुनून होता है जब वह फिल्में देखते हैं तो यह जुनून उन पर और भी ज्यादा सवार हो जाता है कई बार वह अपनी जवानी के दिनों में ऐसे कार्य कर बैठते हैं जिनका उन्हें जीवन भर पछतावा होता है। नौजवान जो हर वक्त कुछ नया करना चाहता है वह फिल्मी दुनिया के इस आधुनिक जमाने में फिल्मों में देखकर हिंसा करने में भी नहीं चूकता कई नौजवानों में ऐसा देखा जाता है।


हम सभी को इस बारे में सोचने की जरूरत है और इस हिंसा को दूर करने की जरूरत है फिल्मों में अक्सर हम देखते हैं कि एक विलन को मारता है पर इस तरह के सीनों का गलत प्रभाव पड़ता है और वो अपने जीवन में भी ऐसा अपनाने के बारे में सोचते हैं यह सही नहीं है ऐसे दृश्य दिखाए जाते हैं जिनसे लोगों को हिंसा करने के नए-नए तरीके मिलते हैं इसके अलावा हमारे भारत देश के बच्चों पर भी फिल्मो में दिखाए जा रहे हिंसात्मक सीनों का प्रभाव काफी देखने को मिलता है।


 फिल्मों में कई बार ऐसे उत्तेजित करने वाले सीन दिखाए जाते हैं जिससे बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और बच्चों की सोच बदलती हुई दिखती हैं कभी-कभी वह ऐसे कदम भी उठा लेते हैं जिनसे उनकी जिंदगी तक बर्बाद हो जाती है इस तरह के अश्लील दृश्य बच्चों की सोच मानसिक स्थिति पर बहुत ज्यादा बुरा प्रभाव डालते हैं हम सभी को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।



 हमें चाहिए कि हम फिल्मों में दिखाए जाने वाले इस तरह के हिंसा के सीन बच्चों के सामने बिल्कुल भी न देखें इससे बहुत ही ज्यादा बुरा प्रभाव होता है और जो बच्चे देश का भविष्य होते हैं जिन पर देश का भविष्य निर्धारित होता है इस तरह की हिंसात्मक फिल्मों की वजह से उनकी जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव होता है। दरअसल यह सब होता इसलिए है कि आजकल के नौजवान फिल्मों के सुपरस्टार को इतना महत्व देते हैं कि वह समझते हैं कि इनका जीवन असलियत में ही ऐसा है और कई बार वह अपने सुपरस्टार की तरह बिहेवियर करना चाहते हैं और कई बार वह ऐसा करते भी हैं जिससे वह अपनी असलियत की दुनिया को भूल कर ऐसी रीयल लाइफ की तरह अपने जीवन को बदलते हैं यह बिल्कुल भी सही नहीं है।



बच्चों में तो सही और गलत करने की सोच भी नहीं होती है वह तो नादान होते हैं यदि हम इसी तरह से हिंसात्मक स्कूल में बच्चों को दिखाते हैं तो उन पर बहुत ज्यादा बुरा असर भी हो सकता है हमें इन चीजों से बचने की जरूरत है और अपने देश के लिए देश के भविष्य के लिए बच्चों के बारे में बहुत ज्यादा सोचने की जरूरत है।


 हमें चाहिए कि हम बच्चों के सामने सिर्फ ऐसी फिल्में देखें जो उनके सामने देखी जाने वाली हो। कई सारी फिल्मों में फिल्म शुरू होने से पहले ही बता दिया जाता है कि यह फिल्म बच्चों को देखने के लिए नहीं है लेकिन हम यदि इस तरह की नासमझी करते हैं और बच्चों के सामने हिंसा से भरी हुई फिल्में देखते हैं तो हम अपने परिवार का अपने देश का बहुत बड़ा नुकसान करते हैं।


इस बारे में हमें विचार करने की जरूरत है और बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने के बारे में सोचने की जरूरत है तभी हम सभी और हमारा देश विकास की एक नई राह पर चल सकेगा हमारे देश के बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सकेगा और हमारे बच्चे कभी भी गलत मार्ग पर नहीं चलेंगे।



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