Friday 6 September 2019

पराधीनता एक अभिशाप पर निबंध Paradhinta ek abhishap essay in hindi

paradhinta ek abhishap essay in hindi

पराधीनता एक अभिशाप है वास्तव में यह बात पूरी तरह से सही है पराधीनता का अर्थ होता है दूसरे के अधीन रहना जो व्यक्ति दूसरे पर अधीन रहता है उसमें पराधीनता का गुण होता है पराधीन व्यक्ति कभी भी जीवन में आगे नहीं बढ़ पाता, कभी भी अपने फैसले स्वयं नहीं ले पाता, जीवन में वह कभी भी विकास नहीं कर पाता हम सभी को स्वाधीन बनना चाहिए।

                                                     Paradhinta ek abhishap essay in hindi

यानी हमें खुद के ही अधीन होकर जीवन में रहना चाहिए दूसरे पर अधीन रहने वाला जीवन में कभी भी विकास नहीं कर पाता पराधीन व्यक्ति दूसरों के मुताबिक चलता है वह अपनी मर्जी से कोई फैसला नहीं ले पाता उसकी पराधीनता जीवन में उसको काफी पीछे रख देती है। एक बंदा क्यो पराधीन होता है वह हमेशा अपने मालिक के मुताबिक ही चलता है, अपने फैसले नहीं ले पाता हम सभी को आत्मविश्वास की शक्ति के साथ स्वाधीन बनने की जरूरत है।

हमेशा स्वाधीनता के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति जिंदगी में आगे बढ़ता है वह तरक्की करता है और अपना, अपने परिवार का, अपने देश का नाम रोशन करता है। हमारा भारत देश कभी सोने की चिड़िया था लेकिन जब अंग्रेजो ने हमारे देश पर राज किया और हमें पराधीन बना लिया बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानियों ने इस गुलामी से मुक्त करने के लिए अपनी जान भी निछावर कर दी उसके बाद हमें स्वतंत्रता मिली।

आज हम पराधीनता से मुक्त हो चुके हैं। आज हम स्वाधीनता को प्राप्त कर चुके हैं लेकिन फिर भी कई लोग विदेशों की चीजों को बढ़ावा देते हैं और पराधीन बनते हैं आज हमारा देश गुलामी से पहले जैसा था वैसा नहीं रहा देश को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा है। देश धीरे-धीरे उस पराधीनता की जंजीरों से बाहर निकल रहा है।

यदि हम सभी वास्तव में स्वयं पर ही निर्भर रहें और देश के लिए कुछ करें तो हमारा देश पहले की तरह विकासशील देश बन सकता है वास्तव में पराधीनता एक अभिशाप की तरह होती है इसी पराधीनता के अभिशाप की वजह से ही हमारे देश को काफी नुकसान उठाना पड़ा है।

एक बच्चा जब सिर्फ अपने मां बाप के अधीन होता है तो मां-बाप भी कुछ समय बाद उसमें दोष लगाने लगते हैं क्योंकि हर कोई मां-बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा खुद पर अधीन रहे और कुछ कमाए, अपने परिवार वालों की सेवा करें। पराधीन व्यक्ति किसी को भी पसंद नहीं होता यदि कोई नौकर होता है तो उसको अपने मालिक के प्रति पराधीन बनकर रहना पड़ता है यानी अपने मालिक के प्रति अधीन होकर ही उसे रहना पड़ता है।

मालिक आगे बढ़ता जाता है लेकिन नौकर अपने खुद के फैसले नहीं ले पाता अपनी मर्जी के मुताबिक जीवन नहीं जीता इस वजह से वह जीवन में पीछे रहता है। हम सभी को पराधीनता के इस अभिशाप से दूर होना चाहिए और सभी को स्वाधीन बनना चाहिए। स्वाधीनता मानव का सबसे बड़ा गुण होता है। जब एक बच्चा स्वाधीन होता है तो मां-बाप को काफी खुशी होती है।

जो देश जितना पराधीन होगा उसके लिए यही एक अभिशाप होगा हमें और हमारे देश को दूसरों पर ज्यादा अधीन नहीं होना चाहिए हमें अपने फैसले लेना चाहिए और स्वाधीनता को बढ़ावा देना चाहिए।

परिवार में, समाज में या फिर इस देश में जितने ज्यादा लोग स्वाधीन होते हैं देश या समाज या परिवार उतनी तेजी से ही विकास करता है सफलता की नई-नई ऊंचाइयों को छूता है लेकिन पराधीनता के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति कभी भी सफल नहीं हो पाते इसलिए हम सभी को स्वाधीनता को बढ़ावा देना चाहिए। हम तभी जीवन में आगे बढ़ सकते हैं।

दोस्तों मेरे द्वारा लिखा यह पराधीनता एक अभिशाप पर लेखन निबंध आपको पसंद आए तो इसे अपने दोस्तों में शेयर जरूर करें यदि कुछ भी अच्छा ना लगा हो तो कमेंट करके जरूर बताएं धन्यवाद।

5 comments: