bagiche me ek ghanta in hindi essay
अक्सर आजकल के आधुनिक युग में बहुत कुछ बदल रहा है पहले चारों ओर पेड़ पौधे, बगीचे देखने को मिलते थे लेकिन आजकल बहुत ही कम पेड़ पौधे शहरों में देखने को मिलते हैं। शहरों में हम कूलर और पंखे की हवा में या ए सी में घर में बैठे रहते हैं लेकिन कुछ समय यदि हमें बगीचे में घूमने का मौका मिले तो यह हमारे लिए बहुत ही अच्छा मौका होता है।
Bagiche me ek ghanta in hindi essay
मैं भी अक्सर अपने कामकाज मैं व्यस्त रहता था एक दिन मुझे समय मिला मैंने घूमने का फैसला किया मैं अपने एक दोस्त के साथ घूमने निकल पड़ा। हम बातें करते जा रहे थे और घूमते जा रहे थे कुछ समय बाद हमने देखा कि एक बहुत ही सुंदर सा बगीचा मेरे सामने हैं जब मैंने वहां का बाहर से ही वह नजारा देखा तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा मैंने अपने दोस्त से कहा कि चलो एक घंटा इस बगीचे में बिताते हैं।
हम दोनों उस बगीचे में अंदर प्रवेश किए अंदर जाकर हमने देखा कि चारों और हरी भरी घास उग रही है उस घास पर कई बच्चे, बूढ़े, नौजवान टहल रहे हैं कई पेड़ पौधे, फल फूल भी नजर आ रहे हैं कई तरह के फूल जैसे कि लाल, गुलाबी, पीले, नीले आदि को देखकर मुझे बहुत ही खुशी हुई। मेने देखा कई तरह के फल फूल भी पास में ही लग रहे हैं कई तरह के पक्षी भी उस बगीचे में चहचहा रहे थे चिड़िया तोता आदि को देखकर मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई थी।
हम उस बगीचे में चारों ओर टहलने लगे कुछ समय बाद उस बगीचे में रखि कुर्सी पर बैठ गए और आराम करने लगे मेने देखा कि बगीचे में नीम का पेड़, जामफल का पेड़ आदि लगे हुए हैं अपने चारों ओर पेड़ पौधे, फल फूल आदि को देखकर मुझे काफी खुशी हुई। मैंने देखा कि एक व्यक्ति पूरे बगीचे में पानी दे रहा था
उसके बाद मैंने देखा कि उस बगीचे में एक जगह पानी भी भरा हुआ था जिसमें सफेद बदक तैर रही थी।
उसके बाद मैंने देखा कि उस बगीचे में एक जगह पानी भी भरा हुआ था जिसमें सफेद बदक तैर रही थी।
सफेद बदक को मैंने कुछ खाने को डाला तो बदक मेरे पास आने लगी और वह अनाज का दाना उठाकर खाने लगी और फिर मुझसे दूर चली गई वह बदक अन्य बदको के साथ खुशी में झूम रही थी यह दृश्य देखकर मुझे काफी खुशी हुई क्योंकि मैंने चारों और इस तरह का प्राकृतिक वातावरण नहीं देखा था।
मैं एक गांव का रहने वाला हु आज से 15 साल पहले मैं इस शहर में आया था अपनी नौकरी आदि में, मैं इस तरह व्यस्त था कि एक घंटा घूमने के लिए भी मेरे पास समय नहीं था। आज मैंने एक घंटा इस बगीचे में गुजारा तो मुझे ऐसा लगा कि जिंदगी में मैंने अपनी आंखों से बहुत कुछ देख लिया हो। हम सभी शहरों में टीवी, इंटरनेट, मोबाइल में ही व्यस्त रहते हैं यदि हम वास्तव में प्राकृतिक वातावरण का आनंद लें तो यह हमारे लिए काफी अच्छा होगा।
मैंने सोचा कि थोड़ी देर और रुक जाए लेकिन मेरे दोस्त को कहीं जाना था इसलिए उस दिन हम सिर्फ एक घंटा ही रुक पाए और फिर मेरे दोस्त के बार बार कहने पर हम उस बगीचे से वापस जाने लगे। मैंने भले ही बगीचे में सिर्फ एक ही घंटा बिताया था लेकिन मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि पता नहीं कितना समय मैंने इस बगीचे में बिता लिया हो। मैं सोच रहा था कि कभी-कभी या ज्यादातर रोज शाम को मैं इस बगीचे में आया करूंगा।
फिर मैं अपने दोस्त के साथ उस बगीचे में से बाहर निकला और घूमते घूमते अपने घर आ गया मुझे बगीचे में बिताया गया एक घंटा बार-बार याद आ रहा था मैं अपने उस 1 घंटे के समय को कभी भी नहीं भूल पाऊंगा।
दोस्तों हमें बताएं कि बगीचे में एक घंटा पर निबंध आपको कैसा लगा पसंद आए तो इसे अपने दोस्तों में शेयर जरूर करें धन्यवाद।
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