Thursday 2 August 2018

मेले की सैर पर निबंध Essay on mele ki sair in hindi

Essay on mele ki sair in hindi 

हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल मेले की सैर पर निबंध आप सभी अपनी स्कूल परीक्षा के समय हमारे इस आर्टिकल से जानकारी ले सकते हैं तो आइए जानते हैं मेले की सैर पर निबंध वैसे तो भारत में बहुत अधिक मेले लगते हैं कई प्रकार के मेले लगते हैं बहुत से मेले त्योहारों पर और बहुत से मेले किसी विशेष स्थान से जुड़े रहते हैं बहां पर लगते हैं.

Essay on mele ki sair in hindi 

हमारे यहां हनुमान जयंती पर मेला लगाया जाता है मेला 3 दिन लगाया जाता है मेले में सभी प्रकार के झूले होते हैं नाहे होती हैं बच्चों को खेलने वाले झूले अलग से होते हैं  सभी प्रकार के साधन होते हैं मेले में मेरा परिवार और हमारे परिवार के सारे बच्चे मिलकर मेला देखने जाते हैं और मेले के आस-पास के गांव वाले, शहर के लोग श्री हनुमान जयंती पर मेला देखने आते हैं.

मेले में सभी प्रकार की मिठाइयां मिलती है और तरह-तरह की दुकानें होती है मिठाई, चार्ट, छोले, भेलपुरी, समोसे, गुजिया और बहुत सी मिठाइयां होती हैं हम सभी बच्चे मिलकर मिठाइयां खाते हैं और आनंद उठाते हैं हमें मेले में घूमते हुए बहुत खुशी होती है हमारे चाचा चाची, मम्मी पापा सभी लोग मेले में घूमते हैं मेले में बहुत जोर से भीड़ पड़ती है बहुत से लोग आते हैं  जेसे ही रात का समय होने लगता है और ज्यादा लोंग बढ़ने लगते है सभी दुकानों पर रोशनी फैल जाती है हर तरफ रोशनी ही रोशनी नजर आती है मेले का नजारा कुछ अलग ही लगता है जैसे कि हम किसी दूसरी दुनिया में पहुंच गए हो.

मेले में सर्कस आते हैं उन सरकसो में जादू बताते हैं हमारे पिताजी ने हमें जादू देखने के लिए टिकट कटा दिया हम जादू देखने गए वहां पर देखा कि एक आदमी खाली डिब्बे में से पेन,रुमाल,चोक्लेट, पैसे सब कुछ निकाल रहा है यह जादू उसने कैसे किया हमने बहुत अच्छे से देखा और बाहर आकर हम दोस्तों ने जादू करके देखा मगर हमसे कुछ नहीं हुआ हमें जादू देखते समय बहुत मजा आया. मेले में घूमते समय हमने मस्ती की और हमारे चाचा चाची, मम्मी पापा, दादा दादी हम सब लोगों ने एक चाट की दुकान पर बैठकर चाट खाया हम सभी बच्चों को चाट खाने में बहुत आनंद मिला.

फिर हमारी मम्मी उनकी शॉपिंग करने लगी हमारी चाची, मम्मी, ताई ,दादी चारों मिलकर उनकी शॉपिंग करने चली गई उन्होंने नए नए कपड़े खरीदे हमारे लिए नए नए खिलौने खरीदे. मेले में जिधर देखो उधर शोर ही शोर मच रहा था कहीं डीजे चल रहे थे तो कई बड़े-बड़े माईक से सर्कस की आवाज़ आ रही थी कहीं से सीटी की आवाज तो कहीं से बांसुरी या डमरू की आवाज तों कहीं ढोल बज रहे थे और आवाज कानों में गूंज रही थी हमारा मन नृत्य करने को कर रहा था.

बहुत सी दुकानों पर औरतों और बच्चों की भीड़ लगी मिलती थी उन दुकानों पर बच्चों के बैटरी से चलने वाले खिलौने, चाबी से चलने वाले खिलौने और कई तरह के खिलौने मिल रहे थे और एक तरफ औरतों की मेकअप की दुकाने लगी हुई थी दुकानों पर रंग बिरंगी चूड़ियां, कड़े और नकली जेवर जो सोने जैसी चमक कि तरह दिख रहे थे और दुकान के सामने बहुत ज्यादा भीड़ लगी हुई थी.

मेले में कई दुकानें घड़ी, तेल और सेंट की भी थी जहां पर आदमी और लड़कों की भीड़ लगी हुई थी लड़के तरह-तरह के सेन्ट खरीद रहे थे घड़ी खरीद रहे थे हर तरफ देखा तो लोग ही लोग नजर आ रहे थे रोशनी ही रोशनी चमक रही थी इन सबको देखकर हमें बहुत खुशी मिल रही थी मेला तो चला गया लेकिन उसकी यादे रह गई हमें अभी भी बहुत याद आता है मेला. मेले में हमने जो मस्ती की थी सब कुछ याद आता है मेला में बहुत मनोरंजन होता है.

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