Thursday 22 February 2024

मेरा अनोखा सपना निबंध Mera anokha sapna hindi Nibandh

Mera anokha sapna hindi Nibandh

दोस्तों नमस्कार, कैसे हैं आप सभी दोस्तों आज के आर्टिकल में हम आपके लिए लाए हैं मेरे अनोखे सपना के बारे में तो चलिए पढ़ते हैं हमारे इस आर्टिकल को 

Mera anokha sapna hindi Nibandh

मेरा अनोखा सपना- जीवन में सभी लोग सपना देखते हैं लेकिन कई लोग कुछ ऐसा सपना देखते हैं जो काफी अनोखा होता है जो उन्हें काफी कुछ सीख भी देता है और सपना देखने के बाद उन्हें ऐसा लगता है कि शायद आज के समय में यह संभव नहीं है। 

मैं अक्सर रात में 10:30 बजे सो जाता था, मैं कभी कबार ही सपना देखता था। एक रात में रात के लगभग 3:00 बजे काफी गहरी नींद में था तभी मैंने एक सपना देखा जो मैं आज तक नहीं भूला। मैं सोचता हूं कि काश ऐसा सच में हो जाए। 

दरहसल सपने में मैंने देखा कि मैं एक ऐसे स्थान पर हूं जहां पर चारों ओर हरे-भरे पेड़ पौधे लगे हुए हैं, हरे भरे पेड़ों को देखकर मुझे काफी अच्छा प्रतीत हो रहा था। मैं सोच रहा था कि यहां पर मैं लंबे समय तक रहूंगा मेरे साथ मेरे कुछ दोस्त भी थे। 

मैं उस स्थान पर चारों ओर भ्रमण कर रहा था तब मैंने देखा कि उस स्थान पर चारों ओर कई सारे पक्षी ही पक्षी थे, ऐसे पक्षी थे जिनको मैं अपने गांव में भी नहीं देखा था, उस स्थान पर तोता भी कई रंग के थे जिन्हें देखकर मेरा मन काफी प्रसन्न हो गया। चिड़िया भी कई तरह की थी नॉर्मल आकर की थी, उससे काफी बड़े आकार की भी थी और छोटे भी। 

वहां पर कई तरह के आकार के सभी जानवर थे जो अपनी मस्ती में झूम रहे थे, पास में ही एक नदी थी जिसे देखकर मेरा मन भी काफी खुश हो रहा था। मैं सोच रहा था कि काश मैं भी इस नदी में तैरता लेकिन मैं तैरना नहीं जानता था मैं उन पक्षियों की आवाज समझ रहा था। 

पक्षी मुझे देखकर मेरी काफी तारीफ कर रहे थे मैं उनसे बातचीत कर पा रहा था तभी अचानक ही मेरी नींद खुली और मैं जाग गया तब मैंने महसूस किया कि यह तो मेरा सपना है। 

जब मैं सपने से जागा तो मैं सोच रहा था कि काश ऐसी जगह होती जहां पर मैं पशु पक्षियों से बातचीत कर पाता और चारों ओर हरियाली ही हरियाली होती लेकिन आज के समय में हमें चारों ओर हरियाली देखने को ही नहीं मिलती। 

पेड़ पौधों की कटाई होती जा रही है और पक्षी दिन प्रतिदिन लुप्त होते जा रहे हैं काश अगर हम पेड़ पौधे नहीं काटते, काश हम ऐसे कृत ना करते जिससे पक्षी लुप्त होते हैं तो कितना अच्छा होता तब हम मिलजुलकर इस प्रकृति में रह पाते।

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