मैं पंछी बोल रहा हूं निबंध
दोस्तों नमस्कार, आज हम आपके लिए लाए हैं मैं पंछी बोल रहा हूं पर हमारे द्वारा लिखित यह काल्पनिक लेख आप इसे जरूर पढ़ें तो चलिए पढ़ते हैं आज के हमारे इस आर्टिकल को
मैं पक्षी बोल रहा हूं, मैं एक घर की छत पर बैठा हुआ हूं। मैं अक्सर इस घर की छत पर बैठना पसंद करता हूं क्योंकि घर की छत पर जब मैं बैठता हूं तो घर के मालिक मुझे खाना इत्यादि खाने के लिए देते हैं एवं मेरे साथ अच्छा व्यवहार करते हैं।
आज के समय में कम ही लोग होते हैं जो इस तरह के अच्छे होते हैं। पहले के समय में चारों तरफ हरियाली ही हरियाली होती थी, पेड़ पौधे ही पेड़ पौधे नजर आते थे जिस वजह से हम पक्षियों के अनुकूल वातावरण था और हम अधिक मात्रा में लोगों के आसपास देखने को मिलते थे लेकिन पर्यावरण संतुलन ना होने की वजह से आज के समय में हमारी संख्या भी दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है और हमें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
पक्षी कई लोगों को काफी पसंद होते हैं, कुछ लोग हम पक्षियों को पिंजरे में बंद करके भी रखते हैं लेकिन वह नहीं समझ पाते कि वास्तव में हमारी खुशी हमारी आजादी है हमें आसमान में घूमना, भ्रमण करना ही सबसे अधिक पसंद होता है।
हम पक्षियों की ची ची की आवाज कुछ लोगों को काफी भाती है। आजकल कई लोग कई जगहों पर एक साथ में कई पक्षियों को देखने के लिए तरसते हैं।
कई पक्षी जो आज के समय में लुप्त होते जा रहे हैं, कई तरह के पक्षी आज के समय में ज्यादातर चिड़ियाघर में देखने को मिलते हैं लोग रुपए देकर हमें देखते हैं और उन्हें बड़ी खुशी का अनुभव होता है, बच्चे हमें देखकर हमारी चहचहाने की आवाज को सुनकर काफी खुश हो जाते हैं
वास्तव में हम पक्षी किसी का कुछ बुरा नहीं करते फिर भी मनुष्य ने पर्यावरण को प्रदूषित करके, पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करके कई तरह के कृत्य करके हमें नुकसान पहुंचाया है लेकिन फिर भी हम पक्षी यही सोचते हैं कि मनुष्य भी अपने जीवन में सुखी रहे और हमें भी सुखी रहने दे बस यही है मेरे जीवन की आत्मकथा।
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