Sunday 20 December 2020

महानगरीय जीवन वरदान या अभिशाप पर निबंध mahanagari jeevan abhishaap ya vardaan

 महानगरीय जीवन वरदान या अभिशाप पर निबंध

महानगरीय जीवन वरदान या अभिशाप 

महानगरी जीवन वरदान भी है और अभिशाप भी हैं दरअसल आजकल ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी महानगरों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। महानगरी जीवन एक तरह से कई लोगों के लिए वरदान है तो कुछ लोगों के लिए यह अभिशाप भी है। महानगरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए महानगरीय जीवन वरदान इसलिए है क्योंकि जीवन में उन्हें कई सुख सुविधाएं मिलती हैं।

महानगरों में मनोरंजन की कई सारे क्षेत्र होते हैं सिनेमा कई तरह के घूमने योग्य स्थान जिनसे मनोरंजन होता है इसके अलावा महानगरों में बस, ट्रेन, मेट्रो ट्रेन आदि जैसी सुविधाएं होती हैं जिनसे लोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से पहुंच सकते हैं। इसके अलावा महानगरों में कई स्कूल कॉलेज भी होते हैं जिनके जरिए विद्यार्थी अच्छी से अच्छी पढ़ाई कर सकते हैं और अपने देश के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

महानगरों में लोगों के लिए कई तरह की व्यायाम करने की सुविधा होती है। महानगरों में रोजगार के कई नए नए साधन भी होते हैं जिससे लोग बेरोजगारी मुक्त हो पाते हैं। महानगरों में एक तरह से हम देखें तो लोगों का रहना एक तरह से वरदान है लेकिन दूसरी और हम देखें तो महानगरों में रहना एक अभिशाप भी है।

महानगरों की ओर आजकल बहुत सारे लोग पलायन करते हुए देखे जा रहे हैं जिस वजह से महानगरों में लोगों को अपना घर बनाना भी मुश्किल पड़ रहा है। महानगरों में जमीन भी बड़ी मुश्किल से मिल पाती है या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है इसके अलावा महानगर अभिशाप इसलिए है महानगर में कई लोगों के पास रोजगार है तो कुछ बेरोजगार भी है जिनको नौकरी मिलना भी काफी मुश्किल होता है।

 महानगरों में कुछ लोग जो थोड़ा बहुत कमाते हैं उससे ज्यादा उनका खर्चा हो जाता है जिस वजह से उन्हें उधारी का जीवन भी जीना पड़ता है। कहते हैं कि महानगरों में लोगों के पास जितना भी पैसा हो वह खर्च करने में कमी जान पड़ता है क्योंकि वहां पर खर्च करने के लिए कई सारी सुख सुविधाएं हैं जिन पर जितना भी पैसा खर्च किया जाए वह कम ही जान पड़ता है।

 महानगरों में यदि किसी व्यक्ति को महानगर के बारे में ठीक तरह से जानकारी नहीं तो बहुत सारे ऐसे लोग होते हैं जो उन्हें बेवकूफ बना सकते हैं। महानगरों में कई सारे लोगों की फिजूलखर्ची भी होती है लोग सोचते हैं कि गांव में रहना ही ठीक है इस तरह से हम कह सकते हैं कि महानगरों में एक और जहां रहना वरदान है वही अभिशाप भी है।

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