Friday 6 November 2020

गाँव की आत्मकथा निबंध Gaon ki atmakatha essay in hindi

Gaon ki atmakatha essay in hindi

मैं एक गांव हूं। जो लोग मुझमें रहते हैं वह सबसे ज्यादा किसान हैं जो खेती करके अपनी जीविका चलाते हैं। किसान भाइयों की वजह से ही मेरे जैसे गांव फल फूल रहे हैं। गांव में किसानों के अलावा मजदूरी करने वाले, सामान्य वर्ग, मध्यम वर्ग के लोग भी रहते हैं। मेरे जीवन की आत्मकथा शुरू होती है एक छोटे से गांव से। 


छोटा गांव अब एक बड़ा गांव बन चुका है। जब मैं छोटा सा गांव था तो गांव में काफी साफ सफाई भी रहती थी, गांव के लोग खेती किसानी करके खुशी खुशी अपना जीवन बिताते थे लेकिन समय के साथ कई सारे बदलाव ग्रामीण इलाकों में देखने को मिलने लगे, मेरा साइज दिन प्रतिदिन प्रतिदिन बढ़ता गया, ग्रामीण इलाकों में जनसंख्या तेजी से बढ़ती गई लेकिन इसी के साथ में एक बदलाव भी आजकल के आधुनिक युग में देखने को मिल रहा है लोग मेरे गांव में से पलायन करके शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। 

मैं थोड़ा खुशी हूं तो थोड़ा दुख भी मुझे भी मुझे अक्सर रहता है। मैं खुश इसलिए हूं क्योंकि पहले से अभी तक कई सारे बदलाव मुझमें देखने को मिले। जनसंख्या मेरे गांव में तेजी से बढ़ी है लेकिन इसके अलावा बहुत सारे किसान एवं गांव के लोग गांव की स्थिति से संतुष्ट नहीं हैं जिससे कई सारे किसान एवं ग्रामीण लोग गांव से पलायन करके शहरों की ओर जा रहे हैं यह सही नहीं है। 

गांव में आजकल देखें तो पहले तो साफ सफाई रहती थी लेकिन जनसंख्या बढ़ने के कारण आजकल कोई साफ सफाई की ओर विशेष ध्यान ही नहीं देता है, चारों ओर कूड़ा कचरा देखने को मिलता है। पहले गांव में लोग एकजुट होकर शाम के समय बातचीत करते रहते थे लेकिन आजकल ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग ज्यादातर घरों में ही देखे जाते हैं क्योंकि उन्हें इंटरनेट, टीवी, मोबाइल से फुर्सत ही नहीं मिलती। 

मेरे गांव के लोग कृषि से भी ऊबते देख रहे हैं वह शहरों में कई तरह की नौकरियां तलाश रहे हैं। अब समय के साथ जो भी बदलाव हुए हैं मैं अपने आपमें खुश हूं क्योंकि मुझ में ही कई सारे खेत हैं, किसान खेती करता है, फसल उगाता है और मैंरी फसल कई शहरों में भेजी जाती है और कई सारे लोगों का घर चलता है। मैं इसलिए ही खुश हूं क्योंकि मुझमें ज्यादातर किसान लोग रहते हैं जो देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। 

मुझ गांव में कई लोग भेड़ बकरी, गाय, भैंस आदी पालते हैं जिनका दूध शहरों में बिचने के लिए जाता है और लोग गाय, बकरी, भैसों का दूध ऊंचे दामों में खरीदते हैं। गांव में वास्तव में ऐसी कई सुविधाएं हैं जो शहरों में नहीं है। यही है मेरे जीवन की आत्मकथा। 

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