Monday 1 June 2020

मेंगो ट्री पर निबंध Autobiography of mango tree in hindi

मेंगो ट्री पर निबंध

मैं एक आम का पेड़ हु मैं एक बगिया में लगा हुआ हूं लोग हमेशा मुझे देखकर काफी खुश हो जाते हैं और मेरे आम तोड़ने का प्रयत्न भी करते हैं कई जीव जंतु, पशु पक्षी भी मेरे फलों सभी को खाना पसंद करते हैं मुझे खुशी होती है कि मैं दूसरों के लिए कुछ कर पाता हूं। मैं अक्सर कई तरह की प्रजातियों का होता हूं मेरी प्रजातियों में लंगड़ा आम, मौसमी आम आदि जैसी कई प्रजातियां हैं।

   Autobiography of mango tree in hindi

 मेरा मालिक अक्सर मेरा ख्याल रखता है बचपन से ही मेरा ख्याल रखने के लिए उसने बगिया के चारों ओर कई तरह की झाड़ियां लगा रखी हैं जिससे बाहर का कोई अन्य व्यक्ति मेरे पत्तों, आमो को तोड़ कर ना ले जाए और कोई भी जीव जंतु मुझे नुकसान ना पहुंचा पाए। आज कुछ सालों पहले जब मेरे मालिक ने मुझे अपनी इस बगिया में लगाया था तब का वह दिन मुझे आज भी याद है।



मैं उन दिनों को याद करके काफी खुश होता हूं दरअसल मेरा मालिक आम की गुठली को कहीं से लेकर आया था और उसने उस आम की गुठली को अपनी एक बगिया में लगा दिया और बगिया के चारों ओर कई तरह के कांटो की झाड़ियां सी बना दी जिससे कोई भी जीव जंतु मुझे नुकसान न पहुंचा सकें। मेरा मालिक बचपन से ही मेरा काफी ख्याल रखता था वह सुबह,शाम,दोपहर को हमेशा मुझ में पानी डालता था।



धीरे-धीरे में बड़ा होने लगा एक बार मेरा मालिक बगिया का दरवाजा खोल कर गलती से कहीं चला गया तभी एक गाय मेरे समीप आई वह मेरे पत्तों को खाने ही वाली थी वह मुझे नुकसान पहुंचाने ही वाली थी कि तभी मेरा मालिक आया और उसने मुझे बचाया तभी से मैं अपने मालिक पर काफी खुश रहता हूं। धीरे-धीरे में बड़ा हुआ तो सबसे पहले मुझ में अमिया लगी अमिया खट्टी मीठी होती थी तो अक्सर अमिया मुझ में से कुछ अन्य तोड़ कर ले जाते थे और कई तरह के अचार चटनी उन अमियो के जरिए बनाते थे और शाम को जब वह आते थे तो मुझे शाबाशी देते थे।



मैं बड़ा ही खुश रहता था क्योंकि मालिक हमेशा मुझ पर काफी खुश रहता था धीरे-धीरे मैं और बढ़ा हुआ और मेरी अमिया आम में बदलने लगी जो कि काफी स्वादिष्ट था मेरे आम अब मालिक अक्सर अपनी बगिया में से तोड़ कर ले जाता था जब आसपास के लोग मेरे आमो को देखते थे तो उनका भी मन बगिया में से आम तोड़ने का करता था लेकिन वह उन झाड़ियों की वजह से नहीं आ पाते थे।


 एक बार तो उस शरारती बच्चों ने मेरे आमों को खाने के लिए उस बनी हुई बागड़ को तोड़ने की भी कोशिश की और मेरे आमों को ले जाने की कोशिश की एक-दो दिन ऐसा ही चला लेकिन कुछ समय बाद जब मेरे मालिक को पता लगा तो उन सभी के बीच कुछ झगड़ा भी हुआ उसके बाद कभी भी किसी ने मेरी बगिया के आम को खाने की कोशिश नहीं की मैं केवल अपने मालिक की सेवा करता हूं।


अभी हाल ही में मालिक अपनी टोकरी में भरकर मेरे आमों को बाजार में बेचने के लिए जाता है तो मैं यह सोच कर खुश हो जाता हूं कि चलो मैं किसी तरह से अपने मालिक की आर्थिक सहायता करता हूं मैं भारत का राष्ट्रीय फल हु, मैं गर्व महसूस करता हूं, मैं गर्मियों में आता हूं, गर्मियों में अक्सर लोग आम का स्वाद लेने के लिए काफी उतावले हो जाते हैं।


दोस्तों मेरे द्वारा लिखा यह आम की आत्मकथा एक काल्पनिक आर्टिकल आपको कैसा लगा हमें जरूर बताएं इसी तरह के बेहतरीन आर्टिकल को पढ़ने के लिए हमें सब्सक्राइब जरूर करें।

0 comments:

Post a Comment