एक वीर सिपाही की आत्मकथा
यदि मैं एक सिपाही होता तो कितना अच्छा होता मैं हमेशा अपने देश के लिए, देश की सुरक्षा के लिए कार्यकर्ता मैं जब छोटा था तो एक पास के ही स्कूल में पढ़ाई करता था अक्सर हमारे स्कूल टीचर बच्चों से पूछा करते थे कि आप बड़ा होकर क्या बनेंगे तब सभी मेरे दोस्त अपने हिसाब से अलग-अलग बताते थे लेकिन मैं हमेशा बताता था कि मैं सिपाही बनूंगा और देश की सेवा करूंगा।
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मैं अक्सर अपने माता पिता से भी यह कहता रहता था कि मैं बड़ा होकर देश के लिए कार्य करूंगा एक सिपाही बनकर देश के दुश्मनों से लड़ूंगा मेरे माता पिता मेरी देशभक्ति देखकर काफी खुश रहते थे लेकिन एक डर उन्हें भी लगता था धीरे-धीरे में बड़ा होने लगा और अपनी पढ़ाई में और भी पर्फेक्ट होने लगा अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने सिपाही बनने के लिए काफी कोशिश की और मैं सिपाही बनने के काफी करीब भी था लेकिन मैं सिपाही नहीं बन सका क्योंकि मेरे माता-पिता ने मुझे सिपाही नहीं बनने दिया शायद उन्हें डर था कि हमारा बच्चा हमें छोड़ कर चला जाएगा।
मैं उनकी इकलौती संतान था वह मुझे अपने से दूर नहीं करना चाहते थे मैंने भी अपने माता-पिता की बात मानना उचित समझा लेकिन मैं अक्सर सोचता रहता हूं कि यदि मैं सिपाही होता तो कितना अच्छा होता मैं अपने देश की सेवा कर सकता था, मैं अपने देश के लिए जी सकता था और मर भी सकता था। आज हम देखें तो देश के दुश्मन कई बार देश पर आक्रमण करते हैं और देश के सिपाहियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
कभी-कभी तो अपनी जान की बाजी भी लगाना पड़ता है यदि मैं सिपाही होता तो मुझे भी देश के लिए लड़ने और देश के लिए मरने का सौभाग्य प्राप्त होता मैं अपने सपने को पूरा कर पाता मैं अपने देश के नागरिकों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता। यदि में सिपाही होता तो मेरे गुरुजनों और मेरे मित्रों को वास्तव में मुझ पर गर्व महसूस होता।
आज हम देखें तो देश का हर एक नागरिक देश के सिपाहीयों को आदर की दृष्टि से देखता है मुझे भी लोग आदर की दृष्टि से देखते मेरा सम्मान करते तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता कि मैं देश के लिए कुछ अच्छा कर रहा हूं। यदि में सिपाही होता तो देश की हर तरह से रक्षा करता चाहे मेरी जान चली जाए लेकिन मैं जान जाने तक अपने देश की सुरक्षा करता अपने दुश्मनों का दत्त कर सामना करता उन्हें मार गिराता।
मैं देशद्रोहियों को कभी भी नहीं छोड़ता और एक सच्चे सिपाही के हर एक कर्तव्य को मैं निभाता मैं अगर सिपाही होता तो कभी कभार ही मैं अपने परिवार वालों से मिल पाता लेकिन इसमें मुझे कोई खास दुख नहीं होता क्योंकि एक सिपाही का परिवार तो पूरा देश होता है मैं अपने परिवार के साथ हमेशा रहता हूं देश की मिट्टी मेरी माता है मैं हमेशा अपनी भारत माता के साथ उनकी सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहता मैं देश के नौजवानों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत होता मैं जब देश का सिपाही बनता तब मुझे इतनी खुशी मिलती वैसे खुशी शायद मुझे कभी भी नहीं मिलती।
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यदि मैं एक सिपाही होता तो कितना अच्छा होता मैं हमेशा अपने देश के लिए, देश की सुरक्षा के लिए कार्यकर्ता मैं जब छोटा था तो एक पास के ही स्कूल में पढ़ाई करता था अक्सर हमारे स्कूल टीचर बच्चों से पूछा करते थे कि आप बड़ा होकर क्या बनेंगे तब सभी मेरे दोस्त अपने हिसाब से अलग-अलग बताते थे लेकिन मैं हमेशा बताता था कि मैं सिपाही बनूंगा और देश की सेवा करूंगा।
मैं अक्सर अपने माता पिता से भी यह कहता रहता था कि मैं बड़ा होकर देश के लिए कार्य करूंगा एक सिपाही बनकर देश के दुश्मनों से लड़ूंगा मेरे माता पिता मेरी देशभक्ति देखकर काफी खुश रहते थे लेकिन एक डर उन्हें भी लगता था धीरे-धीरे में बड़ा होने लगा और अपनी पढ़ाई में और भी पर्फेक्ट होने लगा अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने सिपाही बनने के लिए काफी कोशिश की और मैं सिपाही बनने के काफी करीब भी था लेकिन मैं सिपाही नहीं बन सका क्योंकि मेरे माता-पिता ने मुझे सिपाही नहीं बनने दिया शायद उन्हें डर था कि हमारा बच्चा हमें छोड़ कर चला जाएगा।
मैं उनकी इकलौती संतान था वह मुझे अपने से दूर नहीं करना चाहते थे मैंने भी अपने माता-पिता की बात मानना उचित समझा लेकिन मैं अक्सर सोचता रहता हूं कि यदि मैं सिपाही होता तो कितना अच्छा होता मैं अपने देश की सेवा कर सकता था, मैं अपने देश के लिए जी सकता था और मर भी सकता था। आज हम देखें तो देश के दुश्मन कई बार देश पर आक्रमण करते हैं और देश के सिपाहियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
कभी-कभी तो अपनी जान की बाजी भी लगाना पड़ता है यदि मैं सिपाही होता तो मुझे भी देश के लिए लड़ने और देश के लिए मरने का सौभाग्य प्राप्त होता मैं अपने सपने को पूरा कर पाता मैं अपने देश के नागरिकों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता। यदि में सिपाही होता तो मेरे गुरुजनों और मेरे मित्रों को वास्तव में मुझ पर गर्व महसूस होता।
आज हम देखें तो देश का हर एक नागरिक देश के सिपाहीयों को आदर की दृष्टि से देखता है मुझे भी लोग आदर की दृष्टि से देखते मेरा सम्मान करते तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता कि मैं देश के लिए कुछ अच्छा कर रहा हूं। यदि में सिपाही होता तो देश की हर तरह से रक्षा करता चाहे मेरी जान चली जाए लेकिन मैं जान जाने तक अपने देश की सुरक्षा करता अपने दुश्मनों का दत्त कर सामना करता उन्हें मार गिराता।
मैं देशद्रोहियों को कभी भी नहीं छोड़ता और एक सच्चे सिपाही के हर एक कर्तव्य को मैं निभाता मैं अगर सिपाही होता तो कभी कभार ही मैं अपने परिवार वालों से मिल पाता लेकिन इसमें मुझे कोई खास दुख नहीं होता क्योंकि एक सिपाही का परिवार तो पूरा देश होता है मैं अपने परिवार के साथ हमेशा रहता हूं देश की मिट्टी मेरी माता है मैं हमेशा अपनी भारत माता के साथ उनकी सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहता मैं देश के नौजवानों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत होता मैं जब देश का सिपाही बनता तब मुझे इतनी खुशी मिलती वैसे खुशी शायद मुझे कभी भी नहीं मिलती।
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