Tuesday 26 May 2020

पालतू कुत्ते की ऑटोबायोग्राफी Autobiography of dog in hindi

पालतू कुत्ते की ऑटोबायोग्राफी

मेरे द्वारा लिखित यह एक काल्पनिक आर्टिकल है जिससे आपके ज्ञान के लिए लिखा गया है तो चलिए आज हम पढ़ेंगे पालतू कुत्ते की ऑटो बायोग्राफी।


         Autobiography of dog in hindi

मैं एक कुत्ता हूं आज मैं एक शहर में अपने मालिक के घर के दरवाजे पर बंद रहता हूं मेरे जीवन की कहानी काफी दुखद है जब मैं अपने पिछले दिनों के बारे में सोचता हूं तो मुझे अच्छा नहीं लगता जब मैं छोटा था तो मैं अपनी मां के साथ एक गांव में रहा करता था और लोगों के दरवाजे पर सिर्फ एक एक रोटी के लिए खड़ा रहता था धीरे-धीरे में बड़ा होने लगा कई सारे लोग मुझ पर दया करके चलते फिरते मुझे रोटीयां डाल देते थे लेकिन कभी-कभी मुझ पर लाठियां भी बरसाई जाती थी।


दरअसल कभी-कभी और रोटी ना मिलने की वजह से मैं किसी न किसी व्यक्ति के दरवाजे पर काफी देर तक खड़ा रहता था जब तक वो रोटी नहीं देता था तब तक मैं जाने का नाम नहीं लेता था इससे घर के मालिक मुझ पर लाठियां बरसाते थे मुझे काफी चोट लगती थी लेकिन आखिर में कोई ना कोई गांव का दयावान व्यक्ति मुझ पर दया करके मुझे रोटी खिला ही देता था लेकिन कभी कबार कुछ दिन ऐसे भी मैंने देखे हैं जब मुझे भूखा सोना पड़ता था मेरी मां अक्सर खुद भूखी सो जाती थी लेकिन मुझे भूखा नहीं सोने देती थी।


 यह दिन मुझे अच्छा नहीं लगता था मैं अक्सर सोचता था कि काश शहर के कुत्तों की तरह हमें भी कोई व्यक्ति पाल ले धीरे-धीरे मैं बड़ा हुआ एक दिन मेरी मां का देहांत हो गया मैं अपने एक भाई के साथ उसी गांव में रहता था एक दिन एक शहर का व्यक्ति अपनी कार्य के द्वारा हमारे गांव में आया उस व्यक्ति को मैं इतना पसंद आया कि वह व्यक्ति मुझे अपने साथ ले जाने लगा मैं उसके साथ चला गया लेकिन मुझे दुख भी हुआ क्योंकि मेरा भाई मुझसे बिछड़ गया था।


उस मालिक ने मुझे एक रस्सी से बांध दिया 1 दिन मालिक के साथ में बाजार में गया हुआ था तभी मालिक मुझे कार के पास छोड़कर बाजार की सैर करने निकल गया मुझे भूख लगी तो मैं आसपास जाने लगा और फिर जब कार के पास आने का सोचा तो बो कार वहां से जा चुकी थी शायद मेरे मालिक को लगा कि अब उस कुत्ते को मैं कभी नहीं देख पाऊंगा इसलिए वह वहां से चला गया होगा अब मैं बेसहारा उस शहर में अकेला घूमता रहता बाजार में और भी कई कुत्ते थे जब मुझ जैसे कुत्ते को उन्होंने देखा तो उनसे मेरी लड़ाई हो जाती एक दिन एक कुत्ते से मेरी बहुत भयंकर लड़ाई हुई तभी एक व्यक्ति ने लाठी के जरिए हम दोनों को अलग अलग किया तभी मेरी जान जाते-जाते बची।


 मैं वहां से दूर भाग गया मुझे काफी दुख हो रहा था कि मैं किधर शहर में अकेला फस गया हूं मुझे जब भूख लगती तो मैं लोगों के जूटी की हुई सामग्रियों को खा लेता था किसी व्यक्ति के दरवाजे पर खड़ा होता था तो कोई भी मुझे रोटी नहीं डालता था मुझे काफी दुख होता था कई बार में भूखा सो जाता था और सोचता था कि काश मुझे कोई मालिक मिल जाए 1 दिन आखिर एक व्यक्ति मोटरसाइकिल पर सवार होकर मेरे करीब आया उसने मेरे सिर पर हाथ फेरा और जब मेरी आंखों में देखा तो मेरी आंखों से अकस्मात ही आंसू आ गए मुझे लगा कि यह व्यक्ति दयावान है जरूर ही मेरी मदद करेगा।


वह व्यक्ति मुझे अपने साथ घर पर ले गया उसने मुझे जंजीर से बांध दिया वह अब बहुत ही अच्छी तरह से मेरी देखभाल करता सुबह शाम मुझे खाना खिलाता अब मैं अपने जीवन में खुश हूं बस यही है मेरी आत्मकथा जो मैं आपके समक्ष रखना चाहता था।


दोस्तों कुत्ते की आत्मकथा पर लिखा हमारा यह काल्पनिक आर्टिकल आपको कैसा लगा हमें जरूर बताएं और इसे अपने दोस्तों में शेयर करना ना भूलें।

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