Thursday 21 June 2018

मेरे दादाजी पर निबंध Mere dadaji essay in hindi

 Mere dadaji essay in hindi 

हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल मेरे दादाजी पर निबंध आप सभी के लिए बहुत ही खुशी देगा और अपने दादाजी की यादों को ताजा करेगा. मेरे दादाजी मुझे बहुत प्यार करते हैं तो मैं आपको बताती हूं Mere dadaji essay in hindi  मेरे प्यारे दादाजी के बारे में तो जानिए.
                                                
                                                    Mere dadaji essay in hindi 
मेरे दादाजी मुझे बहुत प्यार करते हैं और सब बच्चों से भी बहुत प्यार करते हैं कोई भी बच्चा रो रहा होता है तो मेरे दादाजी उस बच्चे को गोद में उठाकर चॉकलेट दिलवा देते हैं और वह बच्चा बंद हो जाता है और मेरे दादाजी मुझसे तो इतना प्यार करते हैं कि मैं  नीचें गिर जाऊं तो जल्दी से उठाकर मुझे अपनी गोद में ले लेते हैं मैं बहुत छोटी थी तभी मेरी दादी का स्वर्गवास हो गया तब से मेरे दादाजी मेरे मम्मी पापा और मेरे भाई-बहन हम लोग साथ में ही रहते हैं.

मेरे दादाजी की उमर 60 साल है वह एक सरपंच है मेरे दादाजी सुबह उठ कर नहा कर और नाश्ता करके वह अपने काम से निकल जाते हैं और श्याम को 6:00 बजे घर पर आते हैं और मुझे बहुत सारी चॉकलेट और बिस्कीट लेकर आते हैं और मुझे आकर गोद में उठा लेते हैं फिर मैं और मेरे दादाजी दोनों साथ में बैठकर खाना खाते हैं खाना खाने के बाद मेरे दादाजी मुझे बहुत अच्छी कहानियां सुनाते हैं कहानी सुनते सुनते मेरी नींद लग जाती है और दादाजी भी फिर सो जाते हैं.

सुबह उठकर मेरे दादाजी मुझे उठाते और नहाने की बोलते हैं मैं नहा कर आती हूं और  मुझे मेरे दादागी भगवान के मंदिर के पास बैठा लेते हैं जहां पर वह रामायण पढ़ते हैं और मुझे रामायण की चौपाई और अच्छी अच्छी ज्ञान की बातें बताते हैं और मुझसे कहते हैं कि हमेशा हमें सत्य और धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए हमारे दादा जी हमें हमेशा सत्य के मार्ग पर चलने का रास्ता बताते हैं और हमें गुरु, माता पिता का आदर करने को कहते हैं.

जब हम सुबह स्कूल जाते हैं तब हमारे दादा जी हमसे कहते हैं कि भगवान के आगे हमें प्रणाम करके जाना चाहिए जिससे हमारा कार्य सफल हो. हम हमारी स्कूल परीक्षा में अच्छे नंबर ला सके और  हमने हमारे दादाजी की आदत सीख ली जब हम स्कूल से वापस आते तब हमारे दादा जी हमें एक टेबल पर बैठा कर हमारे होमवर्क में मदद करते.

इसी तरह से हम बहुत बड़े हो गए और हम हमारे दादा जी को छोड़कर शहर में आकर पढ़ने लगे हमें भी हमारे दादाजी की बहुत याद आती थी और हमारे दादा जी को भी हमारी बहुत याद आती थी जो ज्ञान की बातें दादा जी ने हमें बताई वह हमें सब याद थी और हम हमारे दादा जी के बताए हुए मार्ग पर ही चल रहे है.कभी-कभी तो हमारे दादा जी हमसे मिलने आया करते थे और साथ में हमें खाने को चॉकलेट भी लाया करते थे और हमारे पास रात रुकते और रात के समय हमें कहानी सुनाते और सुबह घर को निकल जाते थे।

जब मेरा जन्मदिन आता था तब मेरे दादाजी मुझे बहुत ही सुंदर कपड़े,मिठाईयां और बहुत सारी चॉकलेट ले कर आते थे और उन्हें बहुत ही ज्यादा खुशी होती थी जो सीख हमें अपने दादा दादी, माता पिता दे सकते हैं वह हम किताबों में पढ़कर या कहानियों में सुनकर नहीं ले सकते है. यह सीख हमें हमारे माता पिता और दादा दादी से ही मिलती है.

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