Monday 21 December 2020

भारतीय बाजार का बदलता स्वरूप पर निबंध Bhartiya bazar ka badalta swaroop essay in hindi

bhartiya bazar ka badalta swaroop essay in hindi

हम सभी को आजकल भारतीय बाजार का बदलता हुआ स्वरूप देखने को मिलता है। भारतीय बाजार में पहले के समय में ज्यादातर भारतीय चीजें ही मिलती थी जो ग्रामीण वासियों एवं शहरवासियों को लुभाती थी लेकिन बदलते जमाने में बाजार में भी इस तरीके की चीजें बदलते हुए देखी गई हैं।


 अब शहर वासियों को विदेशी वस्तु काफी लुभाती हैं, बाजारों में ज्यादातर विदेशी सामग्री ही चारों तरफ देखने को मिलती है। जब भी कोई त्योंहार जैसे कि दीपावली, रक्षाबंधन, होली आदि आते हैं तो बाजारों का स्वरूप ज्यादातर बदलता हुआ देखने को मिलता है। पहले जहां हम देखते थे कि त्योहारों में काफी भीड़ भाड़ बाजारों में होती थी लेकिन आजकल त्योहारों की रंगत भी थोड़ी फीकी देखने को मिलती है। 

बाजारों में पहले के मुकाबले बदलाव दिखाई देता हैं। बाजारों का बदलता हुआ स्वरूप हमें चारों और देखने को मिलता है, कई त्योहारों पर लोग बिस्कुट और चॉकलेट जैसी चीजें ज्यादातर अपने घर पर ले जाना पसंद करते हैं। बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो मिठाइयां केबल पूजा करने के लिए ले जाते हैं लेकिन खाने के लिए उन्हें सिर्फ चॉकलेट और बिस्किट ही भातें हैं। 

दीपावली पर हम गौ माता की पूजा करने के लिए उन्हें पहनाए जाने वाले तरह-तरह के हार ले जाते थे और इस तरह की सामग्री हमें दुकानों के बाहर देखने को मिलती थी लेकिन समय के साथ सब कुछ बदल गया है। आजकल लोग शहरों की ओर ज्यादा पलायन कर रहे हैं और गौमाता को धीरे धीरे पालना भूलते जा रहे हैं, उन्हें लोग केवल अपने लालच के लिए पालते हैं और जब उनका मतलब पूरा हो जाता है तो लोग गौ माता को शहरों में बेसहारा छोड़ देते हैं। 

लोग पहले की तरह दीपावली पर गौ माता की पूजा नहीं कर पाते हैं क्योंकि ज्यादातर घरों में गौमाता आजकल देखने को नहीं मिलती जिस वजह से बाजारों में गौमाता को पहनाए जाने वाली सामग्री बहुत ही कम देखने को मिलती है। पहले के समय में भारतीय बाजारों में कुर्ता, पजामा, लंगोट आदि ज्यादातर देखने को मिलते थे लेकिन बदलते जमाने के साथ हमें यह सब बाजारों में देखने को नहीं मिलेगा। 

हमें आजकल बाजारों में ज्यादातर जींस, टी शर्ट आदि देखने को मिलते हैं जो दुकानों के बाहर सजाए जाते हैं। भारतीय बाजारों में हमें लड़कियों की तरह तरह की पोशाक, औरतों की भी तरह तरह की पोशाक देखने को मिलती थी लेकिन आजकल हमें भारतीय बाजारों में दुकानों के बाहर लड़कियों के लिए जींस, टी-शर्ट आदि बिकते हुए दिखते हैं जिससे बाजार का स्वरूप काफी बदलता हुआ प्रतीत होता है। 

बाजारों में पहले ज्यादातर हम देखते थे कि कई देवी-देवताओं की तस्वीरें बेची जाती थी लेकिन आजकल इन त्योहारों के मौकों पर ज्यादातर बाजारों में एक्टर, एक्ट्रेस, खिलाड़ी आदि की तस्वीर चारों और देखने को मिलती है। बाजारों का स्वरूप दिन-प्रतिदिन बदलता हुआ जा रहा है। 

आजकल गांव के लोग धीरे-धीरे शहरों में पलायन कर रहे हैं इस वजह से शहरों के बाजारों में आजकल बहुत ज्यादा भीड़ भाड़ देखने को मिलती हैं। पहले जो लोग बैंकों में अपना पैसा जमा करने से डरते थे वह बैंक में नहीं जाते थे या बहुत ही कम लोग जाते थे आजकल उन्हीं बैंकों में लंबी लंबी लाइन लगी हुई दिखती हैं। 

बाजारों में आजकल मोटरसाइकिल के बगैर बहुत ही कम लोग जाते हुए देखे जाते हैं, चारों और बाजारों में मोटरसाइकिल एवं कई अन्य वाहनों की ध्वनि सुनाई देती है वास्तव में भारतीय बाजारों का स्वरूप दिन-प्रतिदिन बदलता हुआ जा रहा है।

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