Tuesday 27 October 2020

सफाई कर्मचारी की आत्मकथा Safai karmchari ki atmakatha in hindi

Safai karmchari ki atmakatha in hindi

आज हम पढ़ेंगे सफाई कर्मचारी की आत्मकथा, यह हमारे द्वारा लिखित एक काल्पनिक आर्टिकल हैं जो कि आपके ज्ञान को बढ़ाने के लिए लिखा गया है तो चलिए पढ़ते हैं हमारे आज के इस आर्टिकल को

 मैं एक सफाई कर्मचारी हूं। मेरा काम अपने पास के एक सरकारी स्कूल की साफ सफाई करना है। मैं सुबह जल्दी जागता हूं और जल्दी स्नान आदि करने से पहले अपने स्कूल पहुंच जाता हूं, स्कूल की चाबी मेरे पास ही रहती है। स्कूल में एक बड़ा सा दरवाजा लगा हुआ है जिसको मैं चाबी के द्वारा खोलता हूं और स्कूल की साफ सफाई मैं सबसे पीछे से शुरू करता हूं। 

हमारे स्कूल में लगभग 10 क्लास हैं इन 10 क्लासरूमो को में बारी-बारी से एक-एक करके अच्छी तरह से साफ करता हूं। इन क्लास रूम में कई खिड़कियां, दरवाजे भी हैं उनको भी मैं अच्छी तरह से कपड़े से साफ करता हूं फिर झाड़ू एवं कपड़े के द्वारा प्रत्येक क्लासरूम की मैं अच्छी तरह से साफ सफाई करता हूं। मैं पीछे से प्रत्येक कमरे की सफाई करते हुए अंत में हॉल में प्रवेश करता हूं और वहां पर साफ सफाई करता हूं। 

रोजाना दरवाजे तक साफ सफाई करते आते हुए मुझे लगभग 1 घंटे से भी ज्यादा समय हो जाता है और फिर मैं हॉल की सफाई करने लगता हूं। हॉल एवं बड़े दरवाजे की सफाई करते-करते स्कूल के बच्चे दरवाजे के बाहर के गेट तक आ जाते हैं जो प्रतीक्षा कर रहे होते हैं कि मैं कब पूरी तरह से स्कूल की साफ सफाई कर दूं। 

अंत में पूरे स्कूल की सफाई होने के बाद बच्चे स्कूल में प्रवेश करते हैं, शाम को भी स्कूल में साफ सफाई करता हूं। सुबह साफ सफाई करने के बाद मैं घर पर भोजन इत्यादि करने के लिए चला जाता हूं और फिर दोपहर में एक मंदिर की साफ-सफाई भी मैं करता हूं। शाम को स्कूल की साफ सफाई करने के बाद मैं अपने घर पर आ जाता हूं। मेरा जीवन बस साफ सफाई करना ही है। 

मैंने अपने जीवन में साफ सफाई करने के अलावा कुछ भी नहीं देखा है। मेरे पिताजी भी शुरू से ही साफ सफाई करने का कार्य किया करते थे। अब मैं भी अपनी पत्नी के साथ मिलकर साफ सफाई करने का कार्य करता हूं। मैं भी साफ सफाई करने का कार्य करता हूं। 

मैंने अपने बच्चों को उचित शिक्षा दिलवाने के लिए अच्छे स्कूल में दाखिल करवाया है, जरूर ही मेरे बच्चे कुछ अच्छा पद प्राप्त करेंगे और मेरा नाम रोशन करेंगे। बहुत से लोग अपने बच्चों को भी अपनी तरह बनाना चाहते हैं लेकिन मैं अपने बच्चों को मेरी तरह साफ सफाई करने वाला कर्मचारी नहीं बनाना चाहता। 

मैं अपने बच्चे को अच्छी से अच्छी पढ़ाई करवाकर उन्हें बड़ा आदमी बनाना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि वह एक बहुत ही बड़ी नौकरी करें और बड़ा आदमी बने, बस मेरा एक ही सपना है कि मैं अपने स्कूल के पास में लगभग 5 किलोमीटर दूर गांव में रहता हूं और रोजाना सुबह सुबह स्कूल की सफाई करने के लिए आ जाता हूं। मैं चाहता हूं कि गांव की जमीन बेचकर मैं शहर में एक अच्छा सा मकान बना लूं बस यही एक छोटा सा सपना है जो मैं पूरा करना चाहता हूं।

 दोस्तों यह है एक सफाई कर्मचारी की आत्मकथा Safai karmchari ki atmakatha in hindi आप इस आत्मकथा को अपने दोस्तों में शेयर करना ना भूलें और हमें सब्सक्राइब भी करें।

0 comments:

Post a Comment