Sunday 26 July 2020

कलाई घड़ी की आत्मकथा Autobiography of wrist watch in hindi

कलाई घड़ी की आत्मकथा

मैं एक घड़ी हूं मुझे लोग कलाई की घड़ी भी कहते हैं क्योंकि मैं हाथों की कलाई में पहनी जाती हूं, मैं एक व्यक्ति की सजावट के काम आती हूं साथ में लोग अपना समय देखने के लिए भी मेरा उपयोग करते हैं।
    Autobiography of wrist watch in hindi

 पुराने समय में लोग ज्यादातर समय देखने के लिए ही मुझे उपयोग करते थे लेकिन आजकल मोबाइल फोन के जमाने में लोग समय देखने से ज्यादा इसलिए मुझे पहनते हैं क्योंकि मुझे पहनने से उनकी कलाई अच्छी दिखती है। मेरा जन्म एक घड़ी की फैक्ट्री में हुआ मेरे साथ में कई अन्य घड़ियों का भी जब जन्म हुआ तो मुझे काफी अच्छा लगा।

मैं अपने परिवार के साथ फैक्ट्री में बैठी यही सोचती रहती थी कि 1 दिन कोई व्यापारी आएगा और मुझे अपने परिवार के साथ खरीद कर ले जाएगा ऐसा ही एक दिन हुआ। एक व्यापारी मुझ जैसी मेरी सखी सहेलीओ एवं मेरे परिवार वालों को एक कार्टून में भरकर ले गया और एक बड़ी सी दुकान पर मुझे मेरे परिवार वालों एवं सहेलियों के साथ सजा दिया गया अब मैं उस व्यापारी की दुकान पर देखती तो मुझे पता लगा की मेरे जैसी अन्य घड़ियों को ग्राहक दुकान से खरीद कर ले जा रहे हैं और अपने हाथों पर पहन कर अपनी कलाई को सजा रहे हैं।

मैं भी इंतजार करने लगी कि कभी कोई ग्राहक आएगा और मुझे खरीद कर मुझे भी अपनी कलाई पर सजाएगा। एक दिन एक ग्राहक आया और उसने मुझे खरीद लिया वह मुझे अपने घर साथ में ले गया और किसी जन्मदिन के अवसर पर उसने मुझे एक अपने रिश्तेदार को गिफ्ट कर दिया मैं अब काफी खुश थी चारों और लोग मुझे देखकर काफी खुश भी हो रहे थे क्योंकि मैं बहुत ही महंगी घड़ी थी।

अब उस व्यक्ति ने मुझे अपनी कलाई पर सजा लिया वह व्यक्ति जब भी अपने कामकाज से बाहर जाता या अपने ऑफिस पर जाता तो मुझे पहन कर जाता मैं यही सोच कर खुश थी कि चलो मुझे पहनकर कोई तो खुश है यही है मेरे जीवन की दास्तान।

दोस्तों मेरे द्वारा लिखी कलाई की घड़ी की आत्मकथा आपको कैसी लगी हमें जरूर बताएं, इस आर्टिकल को अपने दोस्तों में शेयर जरूर करें।

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