my first day in college essay in hindi
महाविद्यालय का पहला दिन निबंध
हमारे जीवन में कई बार समय ऐसा आता है जब हम कोई कार्य पहली बार कर रहे होते हैं तो हमें काफी अजीब सा लगता है और हम अलग बातावरण में अलग लोगों के बीच में आते हैं तो हमें कुछ दिनो तक अच्छा नहीं लगता ऐसा ही मेरे साथ हुआ था जब मेरे महाविद्यालय का पहला दिन था।
मेरा उस महाविद्यालय में कोई दोस्त भी नहीं था जैसे ही मैं महाविद्यालय मैं अंदर प्रवेश हुआ तो मैंने चारों और मेरे जैसे कई स्टूडेंट्स को देखा। मैं आगे बढ़ता गया जब मैंने आगे प्रवेश किया तो मैंने देखा कि मेरे स्कूल के भी कई दोस्त इस महाविद्यालय में है लगभग 2 दोस्त मुझे उस महाविद्यालय में दिखे मैं उनके पास गया और मुझे काफी खुशी हुई कि चलो इतने बड़े विद्यालय में कोई तो मिला जिसे मैं जानता हूं।
मैं उनसे मिलकर काफी खुश था मैंने उनसे कॉलेज के बारे में जानने की कोशिश की लेकिन वह दोनों भी पहली बार ही आए हुए थे हम कुछ समय बाद इधर-उधर टहलने लगे हमने देखा कि महाविद्यालय में एक बहुत ही बढ़िया बगीचा भी है जिसमें शायद लंच के समय छात्र आते होंगे और अपना कुछ समय बिताते होंगे।
मैंने देखा कि महाविद्यालय में एक सरस्वती जी का मंदिर भी है मुझे बहुत ही खुशी का अनुभव हुआ मैं कॉलेज में आगे बढ़ा तो मैंने देखा कि कॉलेज 2 मंजिल था ऊपर नीचे बहुत सारे क्लासरूम बने हुए थे लेकिन मुझे अभी पता नहीं था कि मेरी क्लास किधर है मैं अपने दो दोस्तों के साथ आगे बढ़ता गया अंदर प्रिंसिपल रूम में मैंने प्रिंसिपल सर से बात की तो मुझे उन्होंने रूम नंबर बताया।
मैं उस क्लास रूम की ओर जाने लगा वहां पर बहुत सारी टेबल लगी हुई थी मैंने जब यह नजारा देखा तो मुझे अजीब लगा क्योंकि मैं जिस गांव से था वहां पर अक्सर छात्रों को नीचे ताटपट्टी बिछाकर पढ़ाया जाता था लेकिन यहां पर तो छात्र टेबलों पर बैठे हुए थे। टेबल क्रमबद्ध लगी हुई थी 50 से ज्यादा टेबल होंगी।
मैंने जब यह नजारा देखा तो मुझे खुशी भी हुई थी। चलो अब टेबल पर बैठकर पढ़ा करेंगे तो बहुत ही अच्छा लगेगा मैं अपने दो दोस्तों के पास ही बैठना चाहता था लेकिन जगह ही नहीं मिल पाई जिस वजह से मैं दूसरी टेबल पर बैठ गया दूसरी टेबल पर एक लड़का था जिससे मेरी थोड़ी दोस्ती हुई मैंने जाना कि वह पास के एक शहर से यहां पढ़ाई करने के लिए आया है और उसे कॉलेज में 3 दिन हो चुके हैं।
मैंने उससे कॉलेज के बारे में जाना, वहां के अध्यापकों के बारे में जाना तो मुझे थोड़ा अच्छा लगा मुझे विद्यालय का पहला दिन बहुत ही अच्छा लगा। धीरे-धीरे समय निकला और फिर क्लास रूम में हमारे टीचर आए टीचर ने अपना परिचय दिया और हम सभी का बारी-बारी से परिचय लिया। क्लास रूम में सभी छात्रों का परिचय जानने के बाद मैं काफी खुश था।
मैंने देखा कि मेरे गांव के भी कई छात्र आए हुए थे जो किसी दूसरे स्कूल में पढ़ा करते थे मुझे काफी खुशी हुई उन्हें भी मुझे देखकर काफी अच्छा लगा महाविद्यालय का है पहला दिन मेरे लिए बहुत अच्छा रहा मैं वापस श्याम को अपने घर जा पहुंचा मुझे काफी देर तक महाविद्यालय के दृश्य याद रहे वास्तव में महाविद्यालय का पहला दिन मेरे लिए खुशी लाया था मुझे अगले दिन का इंतजार था कि कब सुबह हो और कब मैं अपने महाविद्यालय जाऊं।
तो दोस्तों मुझे बताएं कि महाविद्यालय का पहला दिन पर निबंध आपको कैसा लगा इसी तरह के आर्टिकल पढ़ने के लिए हमें सब्सक्राइब जरूर करना और हमें कमेंट्स के जरिए भी जरूर बताएं।
हमारे जीवन में कई बार समय ऐसा आता है जब हम कोई कार्य पहली बार कर रहे होते हैं तो हमें काफी अजीब सा लगता है और हम अलग बातावरण में अलग लोगों के बीच में आते हैं तो हमें कुछ दिनो तक अच्छा नहीं लगता ऐसा ही मेरे साथ हुआ था जब मेरे महाविद्यालय का पहला दिन था।
मेरा उस महाविद्यालय में कोई दोस्त भी नहीं था जैसे ही मैं महाविद्यालय मैं अंदर प्रवेश हुआ तो मैंने चारों और मेरे जैसे कई स्टूडेंट्स को देखा। मैं आगे बढ़ता गया जब मैंने आगे प्रवेश किया तो मैंने देखा कि मेरे स्कूल के भी कई दोस्त इस महाविद्यालय में है लगभग 2 दोस्त मुझे उस महाविद्यालय में दिखे मैं उनके पास गया और मुझे काफी खुशी हुई कि चलो इतने बड़े विद्यालय में कोई तो मिला जिसे मैं जानता हूं।
मैं उनसे मिलकर काफी खुश था मैंने उनसे कॉलेज के बारे में जानने की कोशिश की लेकिन वह दोनों भी पहली बार ही आए हुए थे हम कुछ समय बाद इधर-उधर टहलने लगे हमने देखा कि महाविद्यालय में एक बहुत ही बढ़िया बगीचा भी है जिसमें शायद लंच के समय छात्र आते होंगे और अपना कुछ समय बिताते होंगे।
मैंने देखा कि महाविद्यालय में एक सरस्वती जी का मंदिर भी है मुझे बहुत ही खुशी का अनुभव हुआ मैं कॉलेज में आगे बढ़ा तो मैंने देखा कि कॉलेज 2 मंजिल था ऊपर नीचे बहुत सारे क्लासरूम बने हुए थे लेकिन मुझे अभी पता नहीं था कि मेरी क्लास किधर है मैं अपने दो दोस्तों के साथ आगे बढ़ता गया अंदर प्रिंसिपल रूम में मैंने प्रिंसिपल सर से बात की तो मुझे उन्होंने रूम नंबर बताया।
मैं उस क्लास रूम की ओर जाने लगा वहां पर बहुत सारी टेबल लगी हुई थी मैंने जब यह नजारा देखा तो मुझे अजीब लगा क्योंकि मैं जिस गांव से था वहां पर अक्सर छात्रों को नीचे ताटपट्टी बिछाकर पढ़ाया जाता था लेकिन यहां पर तो छात्र टेबलों पर बैठे हुए थे। टेबल क्रमबद्ध लगी हुई थी 50 से ज्यादा टेबल होंगी।
मैंने जब यह नजारा देखा तो मुझे खुशी भी हुई थी। चलो अब टेबल पर बैठकर पढ़ा करेंगे तो बहुत ही अच्छा लगेगा मैं अपने दो दोस्तों के पास ही बैठना चाहता था लेकिन जगह ही नहीं मिल पाई जिस वजह से मैं दूसरी टेबल पर बैठ गया दूसरी टेबल पर एक लड़का था जिससे मेरी थोड़ी दोस्ती हुई मैंने जाना कि वह पास के एक शहर से यहां पढ़ाई करने के लिए आया है और उसे कॉलेज में 3 दिन हो चुके हैं।
मैंने उससे कॉलेज के बारे में जाना, वहां के अध्यापकों के बारे में जाना तो मुझे थोड़ा अच्छा लगा मुझे विद्यालय का पहला दिन बहुत ही अच्छा लगा। धीरे-धीरे समय निकला और फिर क्लास रूम में हमारे टीचर आए टीचर ने अपना परिचय दिया और हम सभी का बारी-बारी से परिचय लिया। क्लास रूम में सभी छात्रों का परिचय जानने के बाद मैं काफी खुश था।
मैंने देखा कि मेरे गांव के भी कई छात्र आए हुए थे जो किसी दूसरे स्कूल में पढ़ा करते थे मुझे काफी खुशी हुई उन्हें भी मुझे देखकर काफी अच्छा लगा महाविद्यालय का है पहला दिन मेरे लिए बहुत अच्छा रहा मैं वापस श्याम को अपने घर जा पहुंचा मुझे काफी देर तक महाविद्यालय के दृश्य याद रहे वास्तव में महाविद्यालय का पहला दिन मेरे लिए खुशी लाया था मुझे अगले दिन का इंतजार था कि कब सुबह हो और कब मैं अपने महाविद्यालय जाऊं।
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