जन सेवा ही ईश्वर सेवा है पर निबंध
हम सभी के जीवन में ईश्वर सेवा बहुत ही महत्वपूर्ण है हर एक धर्म में लोग अलग-अलग ईश्वर को मानते हैं और अपने ईश्वर की सेवा करते हैं। पूजा आराधना करते हैं ईश्वर की सेवा करना एक बहुत ही अच्छा कदम है लेकिन जो व्यक्ति जनसेवा करता है वह एक तरह से ईश्वर की सेवा ही होती हैं इसलिए कहते हैं जन सेवा ही ईश्वर सेवा है।
यदि आप लोगों की हर तरह से सेवा करते हैं यह करने की कोशिश करते हैं तो इससे बड़ा कदम आपके लिए और कुछ भी नहीं हो सकता आज हमारी इस देश दुनिया में कई सारे लोग ऐसे हैं जिनको दूसरों की मदद की जरूरत है ऐसे लोगों की मदद करना किसी ईश्वर की सेवा करने से कम नहीं है।बहुत से ऐसे लोग हैं जो गरीब हैं जिनके पास दो वक्त का खाना खाने के लिए भी पैसे नहीं है यदि हम सक्षम हैं तो हमारा कर्तव्य है कि हम ऐसे लोगों की मदद करें।
उनके दो वक्त के खाने का प्रबंध करें या फिर उन्हें ऐसा रोजगार दिलवाने में उनकी मदद करें जिससे वह खुद कमा कर अपना जीवन निर्वाह कर सकें यही जनसेवा है, यही ईश्वर सेवा है यदि कोई व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में फंसता है तो उसको उस वक्त परिस्थिति से निकालना ही जनसेवा है यही ईश्वर सेवा है। यदि आप केवल ईश्वर की सेवा पूजा आराधना करते हैं लेकिन जनसेवा बिल्कुल भी नहीं करते तो ईश्वर भी आपको पसंद नहीं करेगा यह आपकी ईश्वर सेवा व्यर्थ है।
जनसेवा ही ईश्वर सेवा है। आप अपने समाज के, अपने देश के प्रति, अपने परिवार के प्रति कर्तव्य से विमुख होकर यदि ईश्वर की सेवा करते हो तो ईश्वर आपको कभी भी पसंद नहीं करेगा क्योंकि वास्तव में जन सेवा ही ईश्वर सेवा होती है। यदि आप लोगों की सेवा नहीं कर पा रहे हैं तो आप अपना काम ईमानदारी से करें तो भी यह एक तरह से जनसेवा ही है।
उदाहरण के तौर पर यदि आप किसी शासकीय नौकरी में है तो आप अपनी नौकरी पूरी ईमानदारी के साथ करें भ्रष्टाचार से बिल्कुल ही दूर रहे गरीबों की जितनी हो सके मदद करें क्योंकि जन सेवा ही ईश्वर सेवा होती है। बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं जो अपने समाज में भ्रष्टाचार फैलाते हैं अपनी कमाई से अतिरिक्त कमाई करने की आशा को लेकर वह गरीब लोगों को भी ठगने से नहीं चूकते ऐसे लोगों को ईश्वर कभी माफ नहीं करता।
वह व्यक्ति चाहे अपने जीवन में कितनी ही ईश्वर सेवा क्यों ना कर ले आखिर में उसके जीवन में निराशा ही आती है ईश्वर उसे कभी भी माफ नहीं करता लेकिन जिसने जनसेवा की ईश्वर उससे हमेशा प्रसन्न रहता है क्योंकि जन सेवा ही ईश्वर सेवा होती है। सच्ची ईश्वर सेवा जन सेवा ही होती है हमें मानवता के अपने कर्तव्य को निभाना चाहिए और अपने समाज,परिवार और देश के लिए हर कदम उठाना चाहिए।
जिससे अपने समाज, परिवार या देश की सेवा हो सके या एक तरह से मदद हो सके जो व्यक्ति जन सेवा करता है उसको जीवन में परेशानियां तो बहुत आती हैं लेकिन वास्तव में जीत उसी की होती है, चारों और उसी का नाम होता है क्योंकि जनसेवा ही ईश्वर की सेवा से कम नहीं होती। आप यदि सक्षम है तो अपने द्वार पर आए हुए किसी भी भिखारी को भीख दिए बगैर जाने मत दीजिए यदि आप सक्षम हैं तो आपसे कोई व्यक्ति कुछ भी मांगे तो उसे देने से कभी भी पीछे मत हटिये यही जनसेवा है यही असली ईश्वर सेवा है।
दोस्तों मेरे द्वारा लिखा यह आर्टिकल जन सेवा ही ईश्वर सेवा है आपको कैसा लगा हमें कमेंट करके बताएं और यदि कुछ भी अच्छा लगा हो तो सब्सक्राइब करना ना भूलें।
हम सभी के जीवन में ईश्वर सेवा बहुत ही महत्वपूर्ण है हर एक धर्म में लोग अलग-अलग ईश्वर को मानते हैं और अपने ईश्वर की सेवा करते हैं। पूजा आराधना करते हैं ईश्वर की सेवा करना एक बहुत ही अच्छा कदम है लेकिन जो व्यक्ति जनसेवा करता है वह एक तरह से ईश्वर की सेवा ही होती हैं इसलिए कहते हैं जन सेवा ही ईश्वर सेवा है।
यदि आप लोगों की हर तरह से सेवा करते हैं यह करने की कोशिश करते हैं तो इससे बड़ा कदम आपके लिए और कुछ भी नहीं हो सकता आज हमारी इस देश दुनिया में कई सारे लोग ऐसे हैं जिनको दूसरों की मदद की जरूरत है ऐसे लोगों की मदद करना किसी ईश्वर की सेवा करने से कम नहीं है।बहुत से ऐसे लोग हैं जो गरीब हैं जिनके पास दो वक्त का खाना खाने के लिए भी पैसे नहीं है यदि हम सक्षम हैं तो हमारा कर्तव्य है कि हम ऐसे लोगों की मदद करें।
उनके दो वक्त के खाने का प्रबंध करें या फिर उन्हें ऐसा रोजगार दिलवाने में उनकी मदद करें जिससे वह खुद कमा कर अपना जीवन निर्वाह कर सकें यही जनसेवा है, यही ईश्वर सेवा है यदि कोई व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में फंसता है तो उसको उस वक्त परिस्थिति से निकालना ही जनसेवा है यही ईश्वर सेवा है। यदि आप केवल ईश्वर की सेवा पूजा आराधना करते हैं लेकिन जनसेवा बिल्कुल भी नहीं करते तो ईश्वर भी आपको पसंद नहीं करेगा यह आपकी ईश्वर सेवा व्यर्थ है।
जनसेवा ही ईश्वर सेवा है। आप अपने समाज के, अपने देश के प्रति, अपने परिवार के प्रति कर्तव्य से विमुख होकर यदि ईश्वर की सेवा करते हो तो ईश्वर आपको कभी भी पसंद नहीं करेगा क्योंकि वास्तव में जन सेवा ही ईश्वर सेवा होती है। यदि आप लोगों की सेवा नहीं कर पा रहे हैं तो आप अपना काम ईमानदारी से करें तो भी यह एक तरह से जनसेवा ही है।
उदाहरण के तौर पर यदि आप किसी शासकीय नौकरी में है तो आप अपनी नौकरी पूरी ईमानदारी के साथ करें भ्रष्टाचार से बिल्कुल ही दूर रहे गरीबों की जितनी हो सके मदद करें क्योंकि जन सेवा ही ईश्वर सेवा होती है। बहुत सारे लोग ऐसे होते हैं जो अपने समाज में भ्रष्टाचार फैलाते हैं अपनी कमाई से अतिरिक्त कमाई करने की आशा को लेकर वह गरीब लोगों को भी ठगने से नहीं चूकते ऐसे लोगों को ईश्वर कभी माफ नहीं करता।
वह व्यक्ति चाहे अपने जीवन में कितनी ही ईश्वर सेवा क्यों ना कर ले आखिर में उसके जीवन में निराशा ही आती है ईश्वर उसे कभी भी माफ नहीं करता लेकिन जिसने जनसेवा की ईश्वर उससे हमेशा प्रसन्न रहता है क्योंकि जन सेवा ही ईश्वर सेवा होती है। सच्ची ईश्वर सेवा जन सेवा ही होती है हमें मानवता के अपने कर्तव्य को निभाना चाहिए और अपने समाज,परिवार और देश के लिए हर कदम उठाना चाहिए।
जिससे अपने समाज, परिवार या देश की सेवा हो सके या एक तरह से मदद हो सके जो व्यक्ति जन सेवा करता है उसको जीवन में परेशानियां तो बहुत आती हैं लेकिन वास्तव में जीत उसी की होती है, चारों और उसी का नाम होता है क्योंकि जनसेवा ही ईश्वर की सेवा से कम नहीं होती। आप यदि सक्षम है तो अपने द्वार पर आए हुए किसी भी भिखारी को भीख दिए बगैर जाने मत दीजिए यदि आप सक्षम हैं तो आपसे कोई व्यक्ति कुछ भी मांगे तो उसे देने से कभी भी पीछे मत हटिये यही जनसेवा है यही असली ईश्वर सेवा है।
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