Friday 23 August 2019

मेरी यादगार यात्रा पर निबंध Meri yadgar yatra essay in hindi

 Meri yadgar yatra essay in hindi

दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं मेरी यादगार यात्रा पर मेरे द्वारा लिखित यह आर्टिकल आप इसे पढ़ें और मेरी यात्रा के अनुभव के बारे में जाने.


                                                       Meri yadgar yatra essay in hindi     
 
मेरे लिए मेरी यात्रा का अनुभव बहुत ही अच्छा रहा आज भी मेरी वो यात्रा मुझे याद आती है तो मुझे काफी अच्छा लगता है एक दिन मेरे पापा अपने ऑफिस से आए और कहने लगे कि हम सभी 2 दिन बाद ही उज्जैन के महाकालेश्वर में घूमने के लिए चलेंगे मेरे पापा ने जब मुझसे यह बात कही तो एक पल मुझे बहुत ही खुशी हुई लेकिन दूसरी तरफ मैं सोचने लगा कि काफी भीड़ पड़ती है इन दिनों में रेलों में अब महाकालेश्वर जाने में तकलीफ तो होगी तभी मैंने पापा से कहा और हमने ट्रेन की सीटों को रिजर्ववेसन करवा लिया.

 हमारे साथ मेरे पापा के एक दोस्त भी थे उनका परिवार भी था पहले तो हमारी पूरी सीट कंफर्म नहीं हुई लेकिन जिस दिन हमें जाना था हमारी सीट कंफर्म हो चुकी थी तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा कि अब सफर बहुत ही अच्छा रहेगा हम रात के 11:00 बजे रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए वहां से हमने ट्रेन पकड़ी और फिर चल पड़े. महाकालेश्वर उज्जैन की ओर रास्ते में हम काफी देर तक बात करते रहे और फिर सुबह लगभग 7:00 बजे हम उज्जैन नगरी में पहुंचे.

 हमने सबसे पहले रेलवे स्टेशन से एक टैक्सी पकड़ी और शिप्रा नदी यानी रामघाट के तट पर स्नाना आदि करने के लिए पहुंच गए वहां पर हम सभी ने स्नान किया. हमने देखा की शिप्रा नदी के किनारे पर कई सारे भक्तगण स्त्री एवं पुरुष स्नान कर रहे हैं सुबह-सुबह काफी ठंडा पानी था हम सभी थोड़ी देर बाद ही स्नान आदि करके तैयार हुए. वहां पर एक वामन को हमने बुलाया और शिप्रा नदी के किनारे पर ही पूजा पाठ करवाया उसके बाद हम महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन के लिए चल पड़े.

 महाकालेश्वर के दर्शन के लिए काफी लोग आए हुए थे हमने देखा कि काफी लंबी लाइन मंदिर के अंदर जाने के लिए लगी हुई थी हम जैसे ही अंदर जाने वाले थे तभी हमारे मोबाइल आदि सबसे पहले रखवा दिए गए थे और फिर हम सभी अंदर जाने लगे. लाइन काफी लंबी थी लगभग 2 घंटे में हम मंदिर के अंदर पहुंचे महाकालेश्वर भगवान के हमने दर्शन कीए और कुछ समय बाद हम मंदिर के बाहर आए सबसे पहले हमने मंदिर के बाहर आकर भोजन किया और फिर एक टैक्सी बाले को बुलाकर उज्जैन नगरी के मंदिरों के दर्शन कराने के लिए कहा.

 अब हम सभी लोग टैक्सी में बैठ कर कई स्थानों पर दर्शन करने के लिए गए. हम उज्जैन के बड़े गणेश चिंतामणि गणेश गोपाल मंदिर एवं काल भैरव मंदिर आदि के दर्शन करने के लिए गए हमें एक साथ में घूमना बहुत ही अच्छा लगा. हम शाम को 5:00 बजे तक उज्जैन में घूमते रहे.
इसके बाद  हमने एक होटल में खाना खाया और फिर चल पड़े. उज्जैन की रेलवे स्टेशन की ओर इस तरह से उज्जैन नगरी की यात्रा हमारी समाप्त हुई हम रेल में बैठकर वापस अपने शहर आ गए.

वास्तव में  हमारी उज्जैन नगरी की यात्रा बहुत ही अच्छी रही वैसे हम देखते हैं आजकल के इस आधुनिक युग में हर कोई अपने काम में व्यस्त है वो अपने परिवार को समय नहीं दे पाते हैं लेकिन हम अपने पूरे परिवार के साथ मेरे पिता के मित्र के परिवार के साथ घूमने के लिए गए तो हमें वास्तव में बहुत ही खुशी का अनुभव हुआ. हर किसी को अपने जीवन में समय निकालकर कहीं ना कहीं घूमने जरूर जाना चाहिए और एक बार जरूर ही उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन जरूर करना चाहिए उज्जैन के महाकालेश्वर की भस्म आरती में भी शामिल जरूर होना चाहिए.

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