Sagar ki atmakatha in hindi essay
दोस्तों नमस्कार कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं सागर की आत्मकथा पर हमारे द्वारा लिखित निबंध आप इसे जरूर पढ़ें तो चलिए पढ़ते हैं आज के हमारे इस आर्टिकल को
प्रस्तावना
सागर काफी विशालकाय होता है जो हमारी पृथ्वी के नक्शे में नीले रंग का दिखाई देता है, इसमें कई सारी नदियां जाकर मिलती हैं। सागर में कई सारे जीव जंतु रहते हैं, आसपास काफी पेड़ पौधे भी होते हैं तो चलिए पढ़ते हैं सागर की आत्मकथा को
सागर की आत्मकथा
मैं सागर हूं। में काफी विशालकाय हूं, मेरे विशालकाय आकर के बारे में सोचकर कई लोग तो घबरा जाते हैं। मैं एक देश से दूसरे देश तक जुड़ा हुआ हूं कई लोग बड़े-बड़े जहाज के द्वारा मुझसे होकर सफर करते हैं और एक देश से दूसरे देश तक पहुंचते हैं।
मुझमें कई सारे जलीय जानवर रहते हैं, कई छोटी-छोटी मछलियां, बड़ी-बड़ी मछलियां, मगरमच्छ, विशालकाय मगरमच्छ, कई व्हेल इत्यादि कई बड़े एवं छोटे जीव जंतु रहते हैं उनका मैं घर हूं। जीव जंतुओं के लिए मैं सबसे महत्वपूर्ण हूं। मेरे चारों ओर कई पेड़ पौधे, जीव जंतु आदि भी निवास करते हैं, मुझमें कई नदियां आकर मिलती हैं।
मैं विशालकाय सागर हूं, लोग मुझे समुद्र कहकर भी पुकारते हैं जब भगवान श्री राम अयोध्या से 14 वर्ष के लिए वनवास आए थे और जब माता सीता का हरण हुआ था तब वह माता-पिता की खोज करते हुए लंका मेरे ऊपर रामसेतु बनाकर ही गए थे और लंका तक पहुंचे थे।
इसके अलावा मैं इस पृथ्वी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हूं मेरे चारों ओर पेड़ पौधे लगे हुए हैं जो काफी स्वादिष्ट फल फूल भी देते हैं जिनका उपयोग करके काफी जीव जंतु, पशु पक्षी एवं मानव अपनी जीविका चलाते हैं।
उपसंहार
वास्तव में सागर हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है जो हम मनुष्य एवं कई जलीय जीव जंतु, पशु पक्षी, पेड़ पौधों आदि के लिए काफी महत्वपूर्ण है। सागर की आत्मकथा से हम सागर के बारे में काफी कुछ समझ सकते हैं।
दोस्तों मेरे द्वारा लिखा सागर की आत्मकथा पर आर्टिकल आपको कैसा लगा हमें जरूर बताएं, इसी तरह के बेहतरीन आर्टिकल पढ़ने के लिए हमें सब्सक्राइब करें धन्यवाद।
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