Thursday 12 November 2020

बचपन की शरारत पर निबंध Bachpan ki shararat essay in hindi

meri ek shararat par anuched in hindi

बचपन काफी यादगार होता है। ज्यादातर बच्चे अपने बचपन में शरारत करते हैं। मेरे बचपन की शरारत भी मुझे याद है। बचपन की शरारत मुझे काफी खुश कर देती है। जब मैं छोटा था तो दुनिया से काफी अनजान था, मुझमें ज्यादा समझ भी नहीं थी जब हम छोटे थे तो अपने बड़े भाइयों, बहनों के साथ में छुपा छुपी खेलते थे। 

मैं घर में सबसे छोटा था अक्सर मेरे बड़े भाई बहन मुझे छोड़कर तेजी से दौड़ते हुए इधर उधर छुप जाते थे, मैं उनके पीछे पीछे दौड़ता हुआ उन्हें ढूंढता था, वह एक ही घर के कई कोनों में छुपे होते थे लेकिन मैं फिर भी उन्हें नहीं ढूंढ पाता था। वह कभी दरवाजे के पीछे छुपते तो कभी घर में रखी टंकी के पीछे छुपते तो कभी एक कोने के पीछे छुप जाते थे मैं उनके इधर-उधर घूमता रहता था और वापस चला जाता था तभी वह एक पीछे से आवाज लगाते थे तो मैं ऊपर नीचे चारों और देखता रहता था लेकिन मेरे भाई मुझे नहीं दिखाई देते थे।

मैं जैसे ही जाने लगता तो वह मुझे आवाज देते। वह काफी खुश हो जाते थे उसके कुछ देर बाद जब मैं उन्हें नहीं ढूंढ पाया तो एक-एक करके वह मेरे भाई बहन बाहर निकले तो मुझे काफी खुशी हुई, मेरे चेहरे पर इतनी मुस्कान दिखी कि वह मुझे देखकर काफी खुश लग रहे थे। उसके बाद उन्होंने फिर से मुझे पास के ही हॉल में खड़ा कर दिया और वह जाकर उसी कमरे में छुप गए। 

अब मैं उन्हें ढूंढने के लिए उस कमरे में आया हद तो तब हो गई कि वह पिछली बार मेरे सामने ही छुपे हुए जगह से निकले थे लेकिन इस बार भी मैं उन तीनों में से किसी को भी नहीं ढूंढ पाया। वह बार-बार पीछे से मुझे आवाज लगाते, मैं बार-बार आगे पीछे मुड़कर उन्हें देखता लेकिन मैं उन्हें खोज नहीं पाता। मैं उस समय बहुत छोटा था मुझमें कुछ समझ भी नहीं थी। मेरी यह शरारत देखकर मेरे माता-पिता, भाई-बहन सभी काफी खुश होते थे, यही है मेरे बचपन की शरारत।

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